रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 8 सितंबर। छत्तीसगढ़ राज्य संयुक्त पेंशनर फेडरेशन के प्रदेश संयोजक तथा भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ के प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र नामदेव ने कही कि नियमित किए गए दैवेभो कर्मचारियों को अर्धवर्षिकी आयु पूर्ण करने के बाद इन दिनों रिटायर हो रहे हैं। परंतु उनकी सम्पूर्ण सेवा अवधि को पेंशन भुगतान हेतु गणना नहीं की जा रही है जबकि सेवानिवृत होने वाले ये कर्मचारी की कुल सेवा अवधि पूर्ण पेंशन पात्रता की सेवा अवधि 33 वर्ष से भी अधिक होने के बावजूद न्युनतम पेंशन केवल 7750/- रुपए लेने मजबूर है।कई लोग तो ऐसे भी जिन्होंने मात्र 18 साल की उम्र में दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम करना शुरू कर दिया था और 62 वर्ष की उम्र में रिटायर हुए हैं।
इस तरह 44 वर्ष की सेवा के बाद भी केवल 10 वर्ष की सेवा के आधार मानकर न्युनतम पेंशन का भुगतान करना दैवेभो से नियमित होकर रिटायर होने वाले पेंशनर और परिवार पेंशनर के साथ घोर अन्याय है। नामदेव ने सीएम बघेल, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, पेंशन संचालक सुश्री नम्रता गांघी, और पी एस ध्रुव सदस्य सचिव पेंशन निराकरण समिति को अलग अलग पत्र भेजकर ऐसे सेवानिवृत कर्मचारियों की दैवेभो के रूप में कार्य अवधि को पेंशन निर्धारण में गणना करने की मांग की है।
पेंशनर फेडरेशन के प्रदेश संयोजक वीरेंद्र नामदेव, भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ के राष्ट्रीय मंत्री पूरन सिंह पटेल,दैवेभो पेंशन प्रकोष्ठ के प्रदेश प्रमुख बी एस दसमेर, पेंशनर्स महासंघ के महामन्त्री अनिल गोल्हानी, प्रगतिशील पेंशनर कल्याण संघ के महामन्त्री अनिल पाठक, राज्य कर्मचारी संघ के प्रदेश महामन्त्री ए के चेलक,आर जी बोहरे,नागेंद्र सिंह,नैन सिंह, जेपी शर्मा, रामकुमार साहू आदि ने भी यही मांग की है।