कोण्डागांव

भंगाराम माई के दरबार में लगी अदालत, दर्जनों दोषी देवी-देवताओं को मिली सजा
09-Sep-2023 9:18 PM
भंगाराम माई के दरबार में लगी अदालत, दर्जनों दोषी देवी-देवताओं को मिली सजा

प्रकाश नाग
केशकाल, 9 सितंबर (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)।
प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी केशकाल के तेलीन सती माई मंदिर के समीप व टाटामारी पर्यटन मार्ग में स्थित भंगाराम देवी के दरबार में भादोम जात्रा का आयोजन हुआ। इस जात्रा में भंगाराम देवी के समक्ष देवी देवताओं की अदालत लगी। जिसमें 9 परगना के देवी-देवताओं के वर्ष भर के कार्यों का लेखा-जोखा लिया गया। साथ ही सन्तोषजनक कार्य न करने वाले देवी-देवताओं को भंगाराम माई ने सजा भी सुनाई। इस दौरान केशकाल विधानसभा के अलावा अन्य जिलों व दूर दराज से भी लोग इस जात्रा का दर्शन करने पहुंचे थे। 

जिन देवी देवताओं की होती है पूजा, उन्हें भी मिलती है सजा
उल्लेखनीय है कि आदिम संस्कृति में कई व्यवस्थायें ऐसी हैं, जिनकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। जिन देवी-देवताओं की पूरी आस्था के साथ पूजा-अर्चना की जाती है, उन्हीं देवी देवताओं को भक्तों की शिकायत के आधार पर सजा भी मिलती है। यहां पर देवी देवताओं से वर्ष भर में किये गये कार्यों का हिसाब किताब लेखा-जोखा होता है वहां पर देवी देवताओं को उनके ठीक कार्य नहीं करने पर उसे सजा सुनाई जाती है । जिस तरह से आमतौर पर शासकिय सेवक को निलंबन -बर्खास्तगी और गंभीर अक्षम्य अपराध पर सजाये मौत की सजा सुनाई जाती है, उसी तरह यहां देवी-देवताओं को भी दोष सिद्ध होने पर अपराध अनुकूल सजा का सामना करना पड़ता है। यहां प्रतिवर्ष भादो माह के कृष्णपक्ष के शनिवार के दिन भादो जातरा का आयोजन किया जाता है, इस वर्ष भी 9 सितंबर को यह जात्रा सम्पन्न हुई। 

भंगाराम माई लेती हंै साल भर का लेखा-जोखा
ज्ञात हो कि जात्रा के पहले छ: शनिवार को सेवा (विशेष पूजा) की जाती है, और सातवें अंतिम शनिवार को जात्रा का आयोजन होता है। इस अंतिम शनिवार को जात्रा के दिवस क्षेत्र के नौ परगना के देवी देवता के अलावा पुजारी, सिरहा, गुनिया, मांझी, गायता मुख्या भी बड़ी संख्या में शामिल होते हैं। 

यह मेला शनिवार के दिन ही लगता है, क्षेत्र के विभिन्न देवी देवताओं का भंगाराम मांई के दरबार में अपनी हाजरी देना अनिवार्य होता है। जात्रा के दिन भंगाराम मांई के दरबार पर महिलाओं का आना प्रतिबंधित होता है। सभी देवी-देवताओं को फुल पान सुपारी, मुर्गा, बकरा-बकरी की बलि देकर प्रसन्न किया जाता है। वहीं भंगाराम माई के मान्यता मिले बिना किसी भी नये देव की पूजा का प्रावधान नहीं है। देवी-देवताओं के मेला में क्षेत्र व दूरदराज  के लोग भी काफी संख्या में उपस्थित होते हंै।

देवी-देवता थाना पहुंचकर लेते हैं अनुमति, भारी संख्या में पुलिस भी तैनात
भंगाराम मांई जी की जात्रा को देखने के लिए दूर-दूर से हजारों लोग पहुंचते हैं। कार्यक्रम प्रारंभ होने से पहले सभी देवी देवता केशकाल थाना पहुंचकर अनुमति लेते हैं जिसके बाद ही कार्यक्रम स्थल की ओर आगे बढ़ते हैं यहाँ परंपरा वर्षों से चली आ रही है । सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस की भी तगड़ी व्यवस्था की जाती है साथ ही प्रशासन भी टीम तैनात रहती है।

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