सुकमा

बाइक पर सवार होकर कोर्रापाड़ पहुंचे लखमा
01-Oct-2023 10:27 PM
बाइक पर सवार होकर कोर्रापाड़ पहुंचे लखमा

 ग्रामीणों से कहा सडक़ बनेगी और विकास होगा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

 सुकमा, 1 अक्टूबर। नक्सल प्रभावित गांव कोर्रापाड़, तोंगगुड़ा, पुनपल्ली, नेलगुड़ा पहुंचे कैबिनेट मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि पिछले पांच साल में जिले की अधिकांश गांवों को सडक़ों से जोड़ दिया गया है। कुछ गांवों में अब भी सडक़ें नहीं बन पाई है, लेकिन आने वाले समय में उन गांवों को भी जोड़ दिया जाएगा। हर गांव हर घर में शुद्ध पेयजल व बिजली लगेगी, धीरे-धीरे विकास हो रहा है और आप लोगों का साथ रहा तो आने वाले पांच साल में ऐसा कोई गांव नहीं होगा, जहां बिजली, पानी व सडक़ नहीं बनेगी, इसलिए विकास और सुरक्षा व विश्वास के लिए आप मुझे सहयोग करें। 

रविवार को वाणिज्यिक कर (आबकारी) वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री कवासी लखमा कांकेरलंका पहुंचे, जहां से बाइक पर सवार होकर वे 7 किमी दूर स्थित कोर्रापाड़ पहुंचे, लेकिन इस बीच उन्हें पैदल छोटा सा नाला पार करना पड़ा और कड़ी मशक्कत के बाद गांव पहुंचे तो ग्रामीणों ने जोरदार स्वागत किया। 

पारंपरिक ढोल के साथ नृत्य किया, जिसमें मंत्री कवासी लखमा खुद शामिल हुए। इसके बाद उन्होंने ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कहा कि हमने चुनाव से पहले जो वादे किए उसे पूरा किया। आज आदिवासियों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है। धान का समर्थन मूल्य मिल रहा है। वनोपज का समर्थन मूल्य मिल रहा है साथ ही तेंदूपत्ता का पैसा समय पर मिल रहा है। जिससे आप लोगों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है। पहले स्कूलें बंद थी और राशन के लिए मीलों पैदल जाना पड़ता था। लेकिन हमारी सरकार बनते ही गांव-गांव में बंद स्कूलों को फिर से खोला गया जिसमें हजारो आदिवासी बच्चे अपना बेहतर भविष्य बना रहे है। 

गांव में या फिर आसपास राशन दुकानें खुल गईं, जिसके चलते आप लोगों को नजदीक राशन मिल रहा है। हमारी सरकार सुरक्षा, विश्वास और विकास को लेकर काम कर रही है। चुनाव होने वाले है जैसा पहले मेरा साथ दिया, ठीक उसी तरह आगे भी साथ दें। वहीं पेड़ के नीचे चौपाल लगाई और ग्रामीणों की समस्याओं को सुना। उससे पहले सर्व उरांव समाज का जिला मुख्यालय में कार्यक्रम का आयोजन था जिसमे उन्होने भाग लिया। इस दौरान काफी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे।

30 साल पुराना कर्जा चुकाया 
मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि 30 साल पहले जब बैला का धंधा करता था तो उस समय इस गांव के सोढ़ी देवा के पिता से एक बैला ले गया था, उस समय मेरे पास 3 हजार थे और बाकी 3 हजार उधार में थे। उसके बाद मैंने चुनाव लड़ा और बैला काम बंद कर दिया, लेकिन मेरे से न तो कभी पैसे मांगे और न ही मुझे याद था। लेकिन आज जब गांव पहुंचा और सोढ़ी देवा ने याद दिलाया तो मैं बचे हुए 3 हजार दे रहा हूं और कर्ज मुक्त हुआ हूं। 

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