रायगढ़

सडक़ नहीं तो वोट नहीं, सडक़ बनाओ वोट पाओ
16-Oct-2023 1:31 PM
सडक़ नहीं तो वोट नहीं, सडक़ बनाओ वोट पाओ

 मात्र वोट मांगने आते हैं नेता, मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे ग्रामीण  

नरेश शर्मा 

रायगढ़, 16 अक्टूबर (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में शहर से लगा हुआ एक गांव ऐसा भी है, जहां हर पांच सालों में नेता वहां वोट मांगने पहुँचते जरूर हैं, और चुनाव जीतकर उस गांव की ओर मुडक़र देखना भी जरुरी नहीं समझते। आलम यह है कि इस गांव के ग्रामीण अब मूलभूत समस्याओं को देखते हुए चुनाव बहिष्कार करने पूरी तरह तैयार हो चुके हैं, और उन्होंने इस आशय का ज्ञापन कलेक्टर के नाम सौंपा है।

रायगढ़ जिला मुख्यालय से लगे हुए ग्राम गढ़उमरिया के आश्रित ग्राम खैरडीपा की जनसंख्या करीब 300 के आसपास है। शहर से लगे हुए इस गांव की हालत दूरस्थ आदिवासी अंचल के सामान है। बीते कई सालों से इस गांव के ग्रामीण सडक़ निर्माण की मांग करते आ रहें हैं परंतु हर बार उन्हें आश्वासन मिलता है और उनकी समस्याओं का समाधान बिल्कुल नहीं हो पाया। खैरडीपा में रहने वाले स्कूली छात्र खेत की पगडंडियों से होकर गांव से बाहर निकलकर शिक्षा ग्रहण करने जाते हैं। यही हाल यहां रहने वाले मजदूरों का भी है। बरसात के दिनों में पगडंडियों में पानी भर जाने से इस गांव का संपूर्ण जिला मुख्यालय से पूरी तरह टूट जाता है और यह गांव टापू में तब्दील हो जाता है।

मूलभूत समस्याओं को लेकर इस गांव के ग्रामीणों ने चुनाव 2023-24 का बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया है, और उन्होंने गांव के गेट में इसका पोस्टर चस्पा कर दिया है, जिसमें लिखा है..सडक़ नहीं तो वोट नहीं, सडक़ बनाओ वोट पाओ। 

गांव के ग्रामीणों ने कलेक्टर रायगढ़ के नाम लिखे गए ज्ञापन पत्र में कहा है कि कई बार शिकायत करने के बावजूद आज पर्यंत तक उन्हें मूलभूत समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। इस गांव के लोगों के लिए मुख्यमार्ग तक पहुंचने सडक़ नहीं है, जिसके कारण उन्हें कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। गांव के ग्रामीणों ने अपनी इस समस्या से सरपंच से लेकर अन्य नेताओं को कई बार अवगत करा चुके हैं, इसके बावजूद उनकी समस्याओं को हमेशा ही दरकिनार किया गया है।

महिलाओं को होती है अधिक परेशानी
खैरडीपा गांव की महिलाओं ने बताया कि उनके गांव में सडक़ नहीं होने से कई तरह की समस्याओं से जूझना पड़ता है। क्योंकि गांव में स्वास्थ्य सुविधा नहीं होने से और प्रसव पीड़ा से जूझ रही महिलाओं को लेने एम्बुलेंस गांव तक नहीं पहुँचती जिसके बाद गांव के ग्रामीण ही देशी जुगाड़ लगाकर तकरीबन एक किलोमीटर का सफर तय कर उन्हें एम्बुलेंस तक पहुंचाया जाता है। 

चुनाव जीतकर नेता भूल जाते हैं वादा
गांव के ग्रामीणों ने यह भी बताया कि विधानसभा चुनाव में भाजपा-कांग्रेस दोनों ही पार्टियों से प्रत्याशी की घोषणा के बाद नेता हर 5 साल में एक बार वोट मांगने आते हैं और उनकी समस्या का जल्द ही समाधान करने का आश्वासन देकर चुनाव जीतते ही अपना वादा भूल जाते हैं और दोबारा गांव आना मुनासिब नहीं समझते।

ग्रामीणों ने जारी किया शपथ पत्र
गांव के ग्रामीणों ने एक शपथ पत्र भी तैयार किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि हम सभी खैरडीपा निवासी यह शपथ लेते हैं कि हमारे ग्राम के मूलभूत सुविधा हेतु 2023-24 विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है, तथा गांव के एकता और संगठन को बनाये रखने के लिए ग्राम के समस्तवासियों द्वारा निर्णय लिया गया है। यह निर्णय सर्वमान्य होगा। यदि कोई किसी के बहकावें या प्रलोभन में आकर इस वर्ष उल्लंघन करता है तो वह दण्ड का भागीदार होगा। अत: हम सब ग्रामवासी यह शपथ पत्र पूरे होश हवास के साथ लिखे हैं, जो समय पर काम आए।

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