कोण्डागांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोंडागांव, 16 जनवरी। रामलला को वनवासी राम के रूप में कैनवास पर उकेर चुके कोण्डागांव के लोक चित्रकार खेम वैष्णव ने रामायण के अरण्यकांड को ध्यान में रखकर एक के बाद एक 3 बाई 2 के 16 नग कैनवास में अपनी कलाकृति उकेरी है। इसमें शबरी के जूठे बेर खाने से लेकर राम-हनुमान मिलन सहित अन्य घटनाओं का चरित्र बखूबी किया गया है।
उन्होंने बताया कि, उनकी इच्छा थी कि, उनके द्वारा बनाई गई पेंटिंग अयोध्या में प्रदर्शित की जाए। जिसके लिए उन्होंने तीन माह तक अरण्यकांड में राम के चरित्र चित्ररण को उकेरते रहे और कब यह 16 कैनवास भर गए, इसका अंदाजा भी नहीं लगा। वे कहते हंै कि, मैं एक रिटायर्ड कर्मचारी हूं और मेरी हैसियत नहीं कि, अपनी कलाकृति की प्रदर्शनी लगा सकंू। यदि शासन-प्रशासन चाहे तो मेरी इस कलाकृति को प्रदर्शित की जा सकती है।
अरण्यकांड में दण्डकारण्य का उल्लेख
लोक चित्रकार खेम वैष्णव ने बताया कि, आरण्यकांड में दण्डकारण का उल्लेख मिलता है और बस्तर ही दण्डकारण्य का इलाका हैं और भी यहां के रहवासी है। इसलिए उन्होंने अपने मन में आए राम के चरित्र का चित्रण अपनी कला के माध्यम से उकेरते चले गए। अपनी इस कलाकृति में उत्तर की ओर से दण्डकारण्य में श्रीराम का आगमन और दक्षिण की ओर से निकल जाने का चित्रण किया है।
वे कहते हंै कि, दशकों बाद रामलला अपने धाम में पूर्णरूप से विराजित हो रहे हैं, इसके लिए न केवल भारत बल्कि पूरा विश्व इस दिन विशेष की प्रतिक्षा कर रहा हैं तो मैंने भी अपनी लोकचित्रण के माध्यम से श्रीराम को वनवासी राम के रूप में चित्रण कर दिखाने का प्रयास किया है, जिसमें अरण्यकांड के उल्लेखानुसार तो हैं ही, इसमें उनके आगमन और यहां विरचण के दौरान वनवासियों से किये गए मेल-मिलाप को भी प्रदर्शित किया है।