सुकमा
6 फरवरी से बेमुद्दत हड़ताल
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सुकमा, 27 जनवरी। आज छत्तीसगढ़ लघुवनोपज प्रबंधक संघ के आह्वान पर प्रदेश के 902 प्रबंधकों ने 36 वर्षों से लंबित नियमितीकरण की मांग एवं वित्त विभाग से अनुमति मिलने के बाद भी प्रबंधकों को 7, 8, 9 ग्रेडपे न मिलने के चलते मुख्यमंत्री एवं एमडी से मुलाकात की एवं अपनी मांगों को रखा।
लघुवनोपज संघ के प्रदेश अध्यक्ष रामाधर लहरे ने बताया कि प्रबंधक विगत 36 वर्षों से 14 लाख लघुवनोपज संगठनकर्ता परिवारों को शासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ पहुँचा रहे हंै। जिनमें से मुख्य रूप से तेंदूपत्ता संग्रहण, भुगतान, बोनस का वितरण, 14 लाख परिवारों का बीमा, छात्रवृत्ति, 65 प्रकार के लघुवनोपज का न्यूनतम संग्रहण दर में संग्रहण आदि शामिल हंै।
प्रबंधकों की मेहनत के ही कारण छत्तीसगढ़ लघुवनोपज संग्रहण में पूरे देश में नंबर एक है। कोई भी राज्य हमारे आस-पाए भी नहीं है। लघुवनोपजों के संग्रहण में प्रदेश सरकार को 13 राष्ट्रीय अवार्ड भी मिले। फिर भी सरकार एवं अधिकारियों द्वारा विगत 36 वर्षों से प्रबंधकों का सिर्फ शोषण और छला जा रहा है।
श्री लहरे ने कहा कि 2016 में प्रबंधकों के लिए सेवा नियम भी लागू किया गया था, जिसमें साफ लिखा है एक वर्ष की परिक्षावधि के बाद प्रबंधक नियमित माने जाएंगे, किंतु उसे भी आज तक धरातल में नहीं लाया गया। जिसके चलते प्रदेश के समस्त प्रबंधकों ने 6 फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है।
60 लाख संग्राहकों पर पड़ेगा असर
प्रबंधकों के हड़ताल पर जाने से लघुवनोपज संग्रहण, 14 लाख परिवारों के बीमा प्रकरण, बोनस भुगतान सम्बन्धी अनेक योजनाएं जो सीधे आम जनता से जुड़ी हैं, पूर्ण रूप से प्रभावित होंगी। जिसका प्रभाव आने वाले लोकसभा चुनाव पर भी पड़ेगा। प्रबंधकों के साथ प्रदेश के 60 लाख संग्रहक सीधे तौर पर जुड़े है। जिसका प्रभाव सभी चुनाव में मुख्य रूप से दिखता है।
प्रबंधकों ने राज्य सरकार को दिलाये थे 13 नेशनल अवार्ड
प्रबंधको की कड़ी महेनत के चलते ही विगत वर्षों न्यून्तम समर्थन मूल्य योजना अंतर्गत वनोपजों के संग्रहण एवं विपडन हेतु राज्य शासन को 13 राष्ट्रीय अवार्ड मिले थे।