सुकमा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सुकमा, 8 फरवरी। छत्तीसगढ़ प्रबंधक संघ की अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू हो गई है।
दस दिनों के भीतर मुख्यमंत्री, वनमंत्री, विधायक एवं वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा के बाद भी सिर्फ मौखिक आश्वासन से नाखुश संघ ने अपनी चार सूत्रीय मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है।
छग प्रबंधक संघ के हड़ताल का सीधा प्रभाव ग्रामीण तेंदूपत्ता एवं अन्य लघुवनोपज संग्रहणकर्ता परिवारों पर देखने को मिलने लगा है। हड़ताल से लघुवनोपज संग्रहण, मिलेट्स संग्रहण, बीमा योजनाएं, तेंदूपत्ता शाखकर्तन पूर्ण रूप से बंद होने के कगार में है। जिससे 14 लाख परिवारों पर सीधा असर देखने को मिल रहा है। संघ के प्रदेशाध्यक्ष रामधार लहरे एवं अन्य पदाधिकारियों ने वन मंत्री छत्तीसगढ़ शासन, मंत्रीगण एवं राज्य के अधिकारियों से मुलाकात की एवं अपनी मांगों को रखा। सिर्फ आश्वासन के अलावा कुछ नही मिला। जिससे नाराज प्रबंधकों ने अंतत: अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दिया है।
प्रबंधकों की प्रमुख मांगें
प्राथमिक लघु वनोपज सहकारी समिति प्रबंधकों की स्वीकृति विभागीय प्रस्ताव के अनुसार तीन स्तरीय वेतनमान लेवल 7, 8 एवं 9 का संशोधित आदेश दिया जाए। प्रबंधकों के सेवा नियम का लिखित में आदेश देकर पालन किया जाए। प्रबंधकों का वेतन उनके निजी खाता में अन्य कर्मचारियों की तरह डाला जाए। शासन के वित्त निर्देश के अनुसार प्रबंधकों को वेतनमान 01 जुलाई 2023 से लागू किया जाए।
संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि प्रबंधक विगत 36 वर्षों से 14 लाख लघुवनोपज संगठनकर्ता परिवारों को शासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ पहुंचा रहे हैं। जिनमें से मुख्य रूप जे तेंदूपत्ता संग्रहण, भुगतान, बोनस का वितरण, 14 लाख परिवारों का बीमा, छात्रवृत्ति, 68 प्रकार के लघुवनोपज का न्यूनतम संग्रहण दर में संग्रहण आदि शामिल है।