राजनांदगांव
ईसाई समुदाय ने गिरजाघरों में की विशेष प्रार्थना
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 29 मार्च। शांतिदूतक प्रभ यीशु को सूली (क्रूसीफाईड) में लटकाने की घटना को याद करते हुए गुड फ्राईडे पर ईसाई धर्मावलंबियों ने उनके बलिदान को याद किया। स्थानीय गिरजाघरों में गुडफ्राईडे के दिन ईसाई समुदाय ने नम आंखों से प्रभु यीशु को नमन किया।
मानव कल्याण के लिए सूली में लटकाए जाने की अलौकिक घटना को त्याग का प्रतिरूप मानते समाज ने प्रभु यीशु का स्मरण किया। धार्मिक मान्यता है कि यहूदा नामक शिष्य की सूचना पर प्रभु यीशु को पकड़ लिया गया था। इसके बाद उन्हें सूली पर टांग दिया गया था। इस घटना को समाज शोक के रूप में मानता है और चर्चों में आज के दिन विशेष प्रार्थना के जरिये प्रभु यीशु को याद किया जाता है।
ईसाई धर्मावलंबी करीब 40 दिन के कठिन तप रखकर प्रभु को याद करते हैं। गुड फ्राईडे को ही प्रभु को बेहद ही क्रूर तरीके से सूली में लटकाया गया था। तमाम शारीरिक और मानसिक यातना को सहते हुए प्रभु यीशु ने मनुष्य के हितों के लिए सूली में चढऩे में गुरेज नहीं किया। उनके बलिदान को याद करते हुए समाज के लोग करीब डेढ़ माह का कठिन उपवास भी रखते हैं।
इस दौरान प्रभु यीशु के जीवनगाथा और उनकी तपस्या को आत्मसात करते हुए समाज याद करता है। इस बीच गुड फ्राईडे के अवसर पर स्थानीय गिरजाघरों में समाज के पास्टर, फादरों और समाज के प्रमुख लोगों द्वारा प्रभु के सात वचनों का पठन किया गया। स्थानीय वाईनियर, मेनोनाईट, गौरीनगर स्थित मसीह मंदिर तथा मार्थोमा चर्च में सुबह से ही विशेष प्रार्थना का सिलसिला चला।
रविवार को ईस्टर पर्व मनाएगा समाज
प्रभु यीशु की सूली में लटकाने की घटना के बाद उनके दोबारा पुर्नजीवित होने की खुशी में समाज रविवार को ईस्टर पर्व मनाएगा। समाज द्वारा ईस्टर पर्व के मौके पर कब्रिस्तान में पूर्वजों को याद करने के लिए प्रभु यीशु से जुड़ी भक्ति गीत की प्रस्तुति दी जाएगी। समाज के दिवंगत माता-पिता और बुजुर्गों की कब्रों का रंग-रोगन भी किया जाएगा। ऐसा रिवाज है कि पूर्वजों को याद करने के लिए ईस्टर पर्व एक अच्छा मौका होता है। इसी रीति-रिवाज को समाज आत्मसात कर हमेशा ईस्टर पर्व को उल्लासपूर्वक मनाता है।