दुर्ग

एमएसएमई ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने पेपर बैग निर्माण की सिखाई बारीकियां
31-Mar-2024 3:13 PM
एमएसएमई ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने पेपर बैग निर्माण की सिखाई बारीकियां

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 31 मार्च।
एमएसएमई टूल रूम एवं स्वावलंबी भारत अभियान के संयुक्त प्रयासों से महिलाओं को स्वरोजगार हेतु पोटियाकला में 15 दिवसीय पेपर बेग के निर्माण से प्रशिक्षित किया जा रहा है।

इसी कड़ी में स्वावलंबी भारत अभियान के छत्तीसगढ़ प्रांत सह समन्वयक एवं लघु उद्योग भारती के पूर्व इकाई अध्यक्ष संजय चौबे ने महिलाओं को बताया कि स्वावलंबी भारत अभियान, देश में रोजगार और स्वरोजगार के अवसर पैदा करने हेतु ठोस कदम उठाने के लिए एक महत्वपूर्ण सामूहिक पहल है। जिसे आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में काम कर रहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आठ संगठनों द्वारा प्रारम्भ किया गया है। 

भले ही भारत को आज विश्व का सबसे युवा राष्ट्र माना जाता है, लेकिन इसके बावजूद भारत के आर्थिक विकास के लिए बेरोजगारी सबसे बड़ी चुनौती है। भारत के पास कौशल विकास, नवाचार, अनुसंधान और विकास के माध्यम से एक ऐसा वातावरण बनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, जिसमें भारत के युवा अपनी क्षमता का उपयोग कर न केवल अपने लिए बल्कि दूसरों के लिए भी, ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में रोजगार पैदा करने में सक्षम हों। हमारा लक्ष्य भारत के प्रत्येक नागरिक को गरीबी रेखा से ऊपर लाना, प्रत्येक हाथ को काम प्रदान करना और आने वाले दिनों में आम लोग व दुकानदारों को जनजागरूकता के लिए सार्वजनिक स्थानों, बाजार, सब्जी मार्केट, चौक चौराहों सहित बस स्टैंड आदि जगहों में वितरण किया जाएगा। 

स्वावलंबी भारत अभियान के प्रांत सह समन्वयक संजय चौबे ने बताया कि पेपर बैग पालिथीन बैग के विकल्प के रूप में तैयार किया गया है। इस प्रयोग के सफल होने पर इसे जिला स्तर पर प्रत्येक विकासखंड में महिलाओं को प्रशिक्षित कर अपने अपने आसपास के मोहल्ले एवं शहर में लोगों को जागरूक कर पेपर बैग के निर्माण एवं उसके उपयोग के लिए प्रेरित किया जाएगा।   ट्रेनर श्रीमति प्रीति बसु के द्वारा 40 महिलाओं को पेपर बैग का ट्रेनिग दिया जा रहा है  इन महिलाओं द्वारा 10 दिन में लगभग 1300 बैग एवम लिफाफा बनाया गया है और राम कुमार बसु के द्वारा उद्यमिता विकास कार्यक्रम ( ईडीपी ) के बारे में भी पढ़ाया जा रहा है।

इस कार्यक्रम से ट्रैनिंग प्राप्त कर ग्रामीण  महिलाएं कम पूंजी में ही  अपनी आर्थिक स्थित सुधार  सकती हैं। प्रशिक्षण में नीतूप्रेम चंदनिया, ममता पाटिल, सुशीला भारती, खुशबु चंदेल,  संध्या चंदनिया, पुष्पा पुराणिक, मीरा तिंगे, निशा पाटिल ने अहम योगदान दिया।
 

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