दुर्ग

बालाजी गुरूकुल हैदराबाद के स्वामी ने बच्चों की मांगी सुपुर्दगी, कुछ परिजन भी पहुंचे दुर्ग
02-Apr-2024 2:17 PM
बालाजी गुरूकुल हैदराबाद के स्वामी ने बच्चों की मांगी सुपुर्दगी, कुछ परिजन भी पहुंचे दुर्ग

सीडब्ल्यूसी ने कहा सामाजिक जांच सत्यापन बाद ही सौंपेंगे

स्टेशन में लावारिस हालत में मिले थे दर्जन भर बच्चे

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता 
भिलाई नगर, 2 अप्रैल।
दुर्ग रेलवे स्टेशन में लावारिस हालत में मिले हैदराबाद गुरुकुल के 12 में से 6 बच्चों के छत्तीसगढ़ निवासी परिजन उन्हें लेने दुर्ग स्टेशन पहुंच गए, जबकि 6 अन्य बच्चों के माता-पिता की खबर नहीं है। ये बच्चे झारखंड, नागालैंड और असम के बताए जा रहे हैं। 

दुर्ग स्टेशन पहुंचे परिजनों ने सीडब्ल्यूसी कार्यालय में बच्चों की सुपुर्दगी लेने की कोशिश भी की, लेकिन उन्हें सुपुर्दगी नहीं मिल पाई है। परिजनों ने कहा कि उन्होंने गुरुकुल के भरोसे बच्चों को पढऩे भेजा था। बच्चों को हैदराबाद से अंबिकापुर तक सफर करने लापरवाही पूर्वक छोड़ दिया गया जो कि सीधे तौर पर मैनेजमेंट का फाल्ट है।

ज्ञात हो कि दुर्ग स्टेशन पहुंचे परिजनों को जब पता चला कि बच्चों के साथ कोई नहीं था तो परिजनों ने हैदराबाद से आए प्राचार्य स्वामी अशोकानंद को जमकर खरी-खोटी सुनाई। उन्होंने कहा कि बच्चों के साथ कोई अनहोनी हो जाती तो कौन जिम्मेदार होता, आपके भरोसे बच्चों को छोड़ा गया था। 

स्वामी अशोकानंद ने बताया कि उनके आश्रम में 50 बच्चे हैं, जिन्हें मुफ्त में रहने खाने के साथ संस्कृत में आयुर्वेद की शिक्षा दी जाती है। बच्चों को दुर्ग तक का टिकट उन्होंने अपने पैसे से कराया था। उन्हें करीब 3 हजार रुपए भी खर्च के लिए दिए थे।

गौरतलब हो कि बच्चों के पास हैदराबाद से दुर्ग तक का ट्रेन का टिकट था। इसके बाद बच्चे दुर्ग स्टेशन से निकले और आर्य समाज मंदिर में नहा-धोकर खाना खाया, फिर स्टेशन पहुंचे। यहां से दुर्ग से अंबिकापुर का टिकट कटवाकर ट्रेन का इंतजार कर रहे थे। तभी बिना किसी वयस्क के बच्चों को देख, सुरक्षा के लिहाज से आरपीएफ ने उन्हें चाइल्ड लाइन को सौंपा। 
परिजनों ने स्वामी अशोकानंद को पूरी तरह से इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि बच्चों का हजार किलोमीटर सफर किसी जिम्मेदार व्यक्ति के बिना तय करना, फिर स्टेशन के आसपास के क्षेत्र में घूमना बेहद गंभीर विषय है।

छत्तीसगढ़ के एक परिजन ने कहा कि स्वामी अशोकानंद ने सबको धोखे में रखा था। उन्हें बच्चों के साथ हुई घटना के बारे में भी नहीं बताया। बाहर वालों को तो कुछ भी जानकारी नहीं दी गई है। बच्चों के परिजन से बहाने से उनके दस्तावेज मंगवाए जा रहे थे। हम लोग तो जैसे-तैसे यहां पहुंच गए, बस बच्चे हमें मिल जाएं। 

इससे पूर्व 29 मार्च को क्राइम इंटेलीजेंस ब्रांच की प्रभारी हेमलता भास्कर और दुर्ग आरपीएफ को प्लेटफार्म नंबर 4 में हैदराबाद के बालाजी गुरुकुल के 12 बच्चे दिखे। पूछताछ में पता चला कि इनके साथ कोई जिम्मेदार व्यक्ति नहीं है। जिसके बाद आरपीएफ ने बच्चों को चाइल्ड लाइन को सौंप दिया था, जिन्हें बाल संरक्षण समिति के सामने पेश कर जांच के बाद परिजनों को सौंपने की बात हुई थी।

बच्चों ने बालाजी गुरुकुल आश्रम के स्वामी से उनकी बात कराई थी। स्वामी ने बच्चों को छुड़वाने की कोशिश भी की। इसके साथ ही दुर्ग आर्य समाज ओम परिसर के प्रमुख जगन्नाथ शास्त्री को वहां भेजा लेकिन बच्चों के परिजन के बिना सुपुर्दगी नहीं दी गई।

 सीडब्ल्यूसी सदस्य मंजुला देशमुख ने बताया कि बच्चों के परिजन और गुरुकुल के प्राचार्य आए थे। उन्हें समझा दिया गया है कि बच्चों को उनके गृह जिले में सामाजिक जांच सत्यापन के बाद ही परिजनों के सुपुर्द किया जाएगा।

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