महासमुन्द

सामाजिक ध्रुवीकरण की कोशिशें तेज, बैठकों का दौर
08-Apr-2024 4:01 PM
सामाजिक ध्रुवीकरण की कोशिशें तेज, बैठकों का दौर

जातिवाद, क्षेत्रवाद को हवा दी जा रही ताकि परिणाम अपने पक्ष में किये जा सके 

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 8 अप्रैल।
महासमुंद लोकसभा सीट में चुनाव को लेकर प्रत्याशी सामाजिक ध्रुवीकरण की कोशिशें तेज कर चुके हैं। समाज के मतों को अपने अपने पक्ष में करने सामाजिक बैठकों का दौर अनवरत जारी है। समाज के लिए दलगत व स्वयं से किये गए कार्यों को गिनाया जा रहा है। प्रतिद्वंदी की खामियां गिनाई जा रही है। जातिवाद, क्षेत्रवाद को हवा दी जा रही है, ताकि परिणाम अपने पक्ष में किये जा सकें। कांग्रेसी अपने घोषणा पत्र में लिखी बिंदुओं को गिना रहे हैं लेकिन भाजपा मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है। अभी तक महासमुंद मुख्यालय में किसी भी उम्मीदवार का बैनर पोस्टर नहीं लगा है। कहीं-कहीं पर प्रधानमंत्री मोदी का फोटो जरूर लगा हुआ है। प्रचार के दौरान कांग्रेसी महिलाओं को सालाना एक लाख और अन्य एजेंडों पर बातें कर रही है लेकिन भाजपा है कि उम्मीदवारों के नाम की जगह यही कह रहे हैं कि भाजपा में उम्मीदवार कमल का फूल है। 

ज्ञात हो कि महासमुंद सीट शुरू से हाईप्रोफाइल सीट रही है। इस बार भी महासमुंद लोकसभा चुनाव की ओर देश भर की नजर है। तरह-तरह की अटकलें चौक चौराहे पर लगाई जा रही हैं। कांग्रेस व भाजपा में बैठकों का लगातार दौर जरी है। हर दिन कांग्रेसी खेमे से लोग दलबदल कर भाजपा प्रवेश कर रहे हैं। बहुत से स्थानों पर भाजपा से भी लोग कांग्रेस प्रवेश कर रहे हैं। पहले यह क्षेत्र शुक्ल बंधुओं का प्रभाव वाला क्षेत्र माना जाता था। पर अब परिस्थितियां बदल चुकी हैं। पूरे तीस साल तक महासमुंद की राजनीति में कांग्रेस की टिकट से कभी न हारने वाले विद्याचरण शुक्ल भाजपा से आखिरी बार 2004 में महासमुंद से ही चुनाव लड़े और हार गये थे। 

उनके जाने के बाद के बाद भी यह सीट हाईप्रोफाइल बनी हुई है। क्योंकि 2004 में प्रथम मुख्यमंत्री अजित जोगी मैदान में उतरे,तब वे जीते थे। लेकिन दूसरी बार वे 2014 में यहां से चुनाव लड़े तो उन्हें चन्दूलाल साहू ने पराजित कर दिया। इस बार यह सीट फिर से चर्चा में है। यहां से कांग्रेस प्रत्याशी राज्य के पूर्व गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू मैदान में हैं। जबकि भाजपा से राज्य की पूर्व संसदीय सचिव, बसना की पूर्व विधायक रूपकुमारी चौधरी मोर्चे पर डटी हुई हैं। 

इन दोनों के अलावा 16 और लोगों ने चुनाव लडऩे के लिए नामांकन दाखिल किया है। यहां दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान होगा। अब तक कांग्रेस से जिला व जनपद पंचायत के अध्यक्ष उषा पटेल, अनिता रावटे,अरुणा शुक्ला, अनामिका पाल, देवेश निषाद, नानू भाई, बादल मक्कड़ जैसे जन्मजात कांग्रेसियों ने दलबदल कर भाजपा का दामन थामा है। इस बार लोकसभा क्षेत्र से कुल मतदाता 17 लाख, 59 हजार, 181 हैं। इनमें 8 लाख, 65 हजार, 125 पुरुष और 8 लाख, 94 हजार 023 महिला मतदाता हैं। वहीं 33 थर्ड जेंडर मतदाता भी हैं। इस तरह पुरुषों की तुलना में महिला वोटर 28 हजार 898 अधिक हैं।

अब तक के चुनावों में देखा गया है कि मतदान करने में शहरी क्षेत्र के बजाय ग्रामीण क्षेत्र में महिलाएं अधिक उत्साहित रही हैं। लंबी कतार में घंटों लगकर वोट डालने की प्रतिबद्धता महिलाओं में देखी गई है। जबकि पोलिंग बूथ पर महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों की कतार कम ही रही है। राजनीतिक समाजिक आंकड़ों के जानकारों की मानें तो महासमुंद लोकसभा में लगभग 54 प्रतिशत ओबीसी मतदाता हैं, जो निर्णायक हैं। इनमें साहू समाज के अलावा, यादव, अघरिया,कोलता, निषाद, मरार पटेल, धोबी, नाई, देवांगन,कुर्मी, पनिका,ओबीसी सिक्ख, मुस्लिम, ईसाई आदि ज्यादा संख्या में हैं। वहीं 15 प्रतिशत अनारक्षित सामान्य वर्ग हैं, जिनमें ब्राह्मण, क्षत्रीय, वैश्य, जैन, माहेश्वरी, अनारक्षित वर्ग के सिक्ख, ईसाई, मुस्लिम हैं। वहीं 31 प्रतिशत में एसटी व एससी मतदाता हैं।

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