महासमुन्द

शिकायत के बाद जांच, धान खरीदी केन्द्र सिंघनपुर में 75 क्विंटल कम मिला
11-Apr-2024 3:08 PM
शिकायत के बाद जांच, धान खरीदी केन्द्र सिंघनपुर में 75 क्विंटल कम मिला

जिले के 182 खरीदी केंद्रों में 1 लाख 38 हजार क्ंिवटल धान खुले आसमान के नीचे

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 11 अप्रैल।
जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक शाखा बसना के अधीनस्थ साख सहकारी समिति सिंघनपुर में धान की कमी की शिकायत की गई थी। शिकायत पर अनुविभागीय अधिकारी राजस्व बसना के निर्देशानुसार कृष्ण कुमार साहू तहसीलदार ने धान खरीदी केन्द्र सिंघनपुर का निरीक्षण कर भौतिक सत्यापन किया। भौतिक सत्यापन के वक्त धान खरीदी केन्द्र में 75.20 क्विंटल धान की कमी पाई गई। जबकि जांच के दौरान खरीदी केन्द्र 44.80 क्विंटल धान शेष रहा। 

जांच के बाद धान खरीदी केन्द्र प्रभारी रतन नाग ने अपनी ग़लती स्वीकार करते हुए कहा कि 120 क्विंटल धान भोलेनाथ एग्रो राईस मिल को देना बाकी है। वर्तमान स्थिति में धान की कीमत 2 लाख 33 हजार 120 रुपए है। भौतिक सत्यापन के दौरान कृष्ण कुमार साहू तहसीलदार के साथ सत्तू सिंह मन्नाडे पटवारी बसना, सिंघनपुर हल्का पटवारी दीवान प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

कृष्ण कुमार साहू तहसीलदार बसना का कहना है कि जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक शाखा बसना के अंतर्गत आने वाले अधिकांश धान उपार्जन केन्द्रों का भौतिक सत्यापन किया जाए तो उन स्थानों पर भी शार्टेज मिलने की संभावना है। धान खरीदी केन्द्र सिंघनपुर में शार्टेज को लेकर शिकायत की गई थी जिसका भौतिक सत्यापन कर पंचनामा बनाया गया है। भौतिक सत्यापन में लगभग 80 क्विंटल धान की कमी पाई गई। जांच रिपोर्ट के आधार पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

मालूम हो कि जिले के धान खरीदी केंद्रों से धान का उठाव नहीं होने के कारण सोसाइटी प्रबंधकों के सामने सूखत से होने वाले नुकसान की चिंता है। मौजूदा डंप धान का जल्द उठाव नहीं होने की स्थिति में यदि प्रति क्विंटल 2 किलो धान की सूखत हुई तो जिले में सोसाइटी को करीब एक करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है। यह समस्या इसलिए खड़ी हो रही है क्योंकि शासन के धान खरीदी नीति का सही ढंग से पालन नहीं हो रहा है।

जानकारी मिली है कि खरीदी के वक्त धान के सूखत की समस्या को अंदाज कर सोसाइटियों में किसानों से प्रति क्विंटल खरीदी में 2 से 3 किलो अधिक धान तौला जाता है। इस तरह व्यवस्थागत खामियों का खमियाजा किसानों को भी भुगतना पड़ता है। धान खरीदी नीति के अनुसार खरीदी के 72 घंटे के भीतर केंद्र से धान का उठाव किया जाना है। लेकिन जिले के 182 खरीदी केंद्रों में करीब 1 लाख 38 हजार क्ंिवटल मतलब 3 लाख 48 हजार कट्टा खुले आसमान के नीचे रखा है, जो बारिश की नमी और गर्मी की धूप झेल रहा है। इसी वजह से समय के साथ धान में सूखत की मात्रा बढ़ रही है। 

बीते 1 नवंबर से राज्य सरकार ने समर्थन मूल्य पर किसानों से धान खरीदी शुरू हुई जो 4 फरवरी तक चली। इस साल जिले के पंजीकृत 1 लाख 58 हजार 756 पंजीकृत किसानों में से 1 लाख 52 हजार 515 किसानों से 113 लाख क्विंटल धान खरीदा गया। हालांकि जो धान डंप है, उसकी मात्रा कम बताई जा रही है लेकिन इनसे होने वाले नुकसान का आंकलन करोड़ों में किया जा रहा है।

जिला विपणन अधिकारी राहुल अंड्रस्टकर के अनुसार शासन से आबंटन के आधार पर मिलर्स को डीओ जारी कर दिया जाता है। जिले भर में लगभग धान का उठाव हो चुका है। धान खरीदी के हिसाब से डंप धान की मात्रा कम है।

जयप्रकाश साहू, सहकारी समिति कर्मचारी संघ जिलाध्यक्ष का कहना है कि  खरीदी केंद्रों में अब परिवहन को लेकर फड़ प्रभारी परेशान हैं। इसे लेकर कई बार उप पंजीयक कार्यालय में बैठक भी हो चुकी है, बावजूद केवल आश्वासन मिला है। खरीदी शासन की नीतियों के तहत 17 प्रतिशत की नमी पर किया जाता है। गर्मियों में धान सूखकर 10 प्रतिशत के नीचे चला जाता है जिसका नुकसान समिति के कर्मचारियों को भुगतना पड़ता है। धान के उठाव में देरी होने से सूखत की समस्या होती ही है। इससे काफी नुकसान भी होता है। जिलेभर की समितियों में जाम धान का उठाव नहीं हुआ तो एक करोड़ से अधिक का नुकसान तय है। 
 

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