दन्तेवाड़ा

सिकलसेल की जांच व उपचार करवाएं और निरंतर सजगता बरतें-चैतराम
20-Jun-2024 3:53 PM
सिकलसेल की जांच व उपचार करवाएं और निरंतर सजगता बरतें-चैतराम

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

 दंतेवाड़ा, 20 जून। विश्व सिकलसेल दिवस के अवसर पर दंतेवाड़ा में सिकलसेल जागरूकता रथ को जिला अस्पताल से हरी झंडी दिखाकर विधायक चैतराम अटामी एवं अन्य जनप्रतिनिधियों ने रवाना किया।

 उल्लेखनीय कि 19 जून को विश्व सिकल सेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस आयोजन को आदिम जाति तथा अनुसूचित जनजाति विभाग एवं लोक स्वास्थ्य एवं कल्याण विभाग के द्वारा जिला चिकित्सालय में जिला स्तरीय विश्व सिकलसेल दिवस कार्यक्रम आयोजित की गई।

 विधायक चैतराम अटामी कहा कि सभी बीमारियों के प्रति हमें जागरूक होना जरूरी है। आज देश के प्रधानमंत्री के द्वारा पूरे राष्ट्र में सिकलसेल जागरूकता अभियान चलाई जा रही है, जिससे इस बारे में समाज में चेतना विकसित हो सके। इसके साथ उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी में चिकित्सकों के सहयोग से सारे लोग हम एकजुट होकर इस महामारी का सामना  किये। इसी तरह सिकलसेल जैसे बीमारी की जांच एवं उपचार करवाएं और निरंतर सजगता बरतें।

 श्री अटामी ने कहा कि चिकित्सक का प्रथम कार्य आमजनों का सेवा करना और इस सेवा कार्य को पूरे प्राथमिकता के साथ करने को भी कहा। इसके अलावा उन्होंने जिला चिकित्सालय में आमजनों एवं ग्रामीणों को गोंडी भाषा में भी संबोधित किया।

इस दौरान सीएमएचओ डॉ. संजय बसाक और आदिवासी विकास विभाग के उप आयुक्त के एस मसराम के द्वारा विस्तारपूर्वक सिकलसेल के संबंध में जानकारी भी दी गई और  सिकलसेल की जांच सभी को कराने का आह्वान किया तथा सिकलसेल कुंडली मिलान कर ही विवाह करने की सलाह भी दी।

 उल्लेखनीय है कि सिकलसेल एक आनुवंशिक रोग है। छुआछूत से यह बीमारी नहीं फैलती बल्कि माता-पिता से संतान को यह बीमारी होती है। इसके साथ ही सिकलसेल एनीमिया पीडि़त रोगी में पाए जाने वाले लक्षणों में मरीजों में रक्त की कमी मुख्य लक्षण होते हैं। इसकी वजह से थकान कमजोरी पीलापन सांस का फूलना, बार-बार संक्रमण से सर्दी, खांसी, बुखार के अलावा जब सिकलसेल छोटी रक्त वाहिनियों से फंसकर रुकावट पैदा करते हुए हड्डियों में असहनीय दर्द, हाथ-पैर में सूजन, तिल्ली का बढ़ जाना, पित्ताशय में पथरी, लकवा, फेफड़ों एवं हड्डियों में संक्रमण और आँखों (दृष्टि) पर असर पड़ सकता है।

 सिकलसेल के संबंध में अनेक भ्रांतियां है सिकलसेल एनीमिया रोग संक्रमण, छुआछूत से फैलता है, इसलिए रोगी से बचकर रहना चाहिए, किन्तु सत्य यह है कि सिकलसेल रोग एक आनुवांशिक रोग है। यह छुआछूत या एक से दूसरे को चिपकने वाली बीमारी नहीं है, ना ही सिकलसेल के रोगी से डरने और अलग रहने की आवश्यकता है। एक भ्रांति यह भी है कि सिकलसेल एनीमिया का कोई निश्चित इलाज नहीं है। साधारणतया यह सत्य है कि सिकलसेल एनीमिया को जड़ मूल से समाप्त करने के लिए कोई दवा उपलब्ध नहीं है। सिकलसेल एनीमिया बोन मेरो ट्रांसप्लांट ही एक इलाज प्रायोगिक रूप में उपलब्ध है। सिकलसेल वाहक (करियर) को समय-समय पर फोलिक एसिड और पेनिसिलिन की गोलियां लेनी चाहिए। किन्तु साधारणतया सिकलसेल वाहक (करियर) को किसी भी दवा की आवश्यकता नहीं है। हाइड्रोक्सी यूरिया के सेवन से सिकल सेल के जटिलता एवं रक्त ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता में कमी आती है। सपोर्टिव ट्रीटमेंट और रहन-सहन में सावधानी बरतने से एक लंबी आयु मिल सकती है। इसकी जांच शासकीय अस्पतालों में मुफ्त में किये जाते हैं। एक वर्ष की आयु होने पर अपने बच्चों का हीमोग्लोबिन एवं सिकलिन का परीक्षण नजदीकी जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में जाकर अवश्य कराने तथा चिकित्सकों से परामर्श लेने की अपील की गई। बताया गया कि सही समय में जांच होने से इलाज करने में आसानी होती है ।

 इस दौरान पायल गुप्ता, धीरेंद्र प्रताप सिंह, जिला पंचायत सदस्य रामू राम नेताम, जिला पंचायत सदस्य  संगीता नेताम,जिला पंचायत सदस्य पायके मरकाम, जनपद पंचायत उपाध्यक्ष जय दयाल नागेश कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी और सीईओ कुमार विश्व रंजन प्रमुख रूप से मौजूद थे।

 

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