रायपुर

सरकारी स्कूल में डोनेशन...!
03-Jul-2024 3:59 PM
सरकारी स्कूल में डोनेशन...!

 आत्मानंद स्कूलों में कमीशन का खेल,नर्सरी की सीट 20 हजार की 

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 3 जुलाई। 
प्रदेश में सप्ताह भर पहले से ही नए शिक्षा सत्र की शुरुआत हो चुकी है। निजी और सरकारी स्कूलों में छात्रों का प्रवेश भी दिया जा रहा है । प्रारंभ हो गया है। आत्मानंद स्कूल भी 1 जुलाई से पूरे प्रदेश भर में प्रारंभ हो गए हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इन सरकारी आत्मानंद स्कूल में नर्सरी के बच्चों के प्रवेश के लिए डोनेशन का खेल चल रहा है लगभग 5 वर्ष पहले शुरू हुए आत्मानंद स्कूलों में प्रवेश के लिए स्कूल प्रशासन पालकों से  वसूली हो  रही है। इसमें उनकी मदद बिचौलिए कर रहे हैं जो वार्ड मोहल्ले के पार्षदों के छुटभैये समर्थक हैं।नर्सरी से लेकर पांचवी तक के बच्चों को एडमिशन के लिए बिचौलिए 20 से 25000 रुपए का डोनेशन लेकर स्कूल में प्रवेश पक्का कर रहे हैं । इसके लिए न कोई ऑनलाइन और न ही ऑफलाइन आवेदन लिया जाता है। यह पूरा खेल स्कूल प्रशासन की ओर से सांठगांठ कर हो रहा है ।पिछले वर्ष भी इस बारे में खबरें आने के बाद प्रशासन ने अपनी मुस्तैदी नहीं  दिखाई थी, इसके बाद नए सत्र की शुरुआत होते ही बिचौलियों का  खेल फिर से शुरू हो गया। अब स्कूल शिक्षा विभाग भी इसे अनदेखा कर रही है।  ऐसे में आज हालात यह है कि बच्चों को प्राइवेट स्कूल में भेजें या सरकारी आत्मानंद स्कूलों में दोनों जगह पर ही डोनेशन और कमीशन का बड़ा खेल हो रहा है ऐसा ही राजधानी के आमापारा स्थित आत्मानंद, सरोना स्थित हिंदी और अंग्रेजी मीडियम के सरकारी शहर में बने स्कूलों में चल रहा है।

सूत्रों के मुताबिक इन स्कूलों में पिछले वर्षों से ही बच्चों के प्रवेश के लिए बिचौलिए महीने भर पहले से ही ग्राहक तलाशते रहते हैं और स्कूल में प्रवेश के लिए मोटी रकम की मांग की जाती है परिजन भी स्कूलों में निशुल्क शिक्षा की चाह लेकर अपने बच्चों के प्रवेश के लिए बिचौलियों की मांग पूरी करते हैं।  हमें  मिली जानकारी के अनुसार  अभिभावकों ने बताया कि वे  दो-तीन वर्षों  बच्चों के एडमिशन के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन प्रवेश के लिए आवेदन कर रहे थे, बावजूद बच्चों को आत्मानंद स्कूल में प्रवेश  नहीं हो पता था। ऐसे में विभागीय स्कूल और उसके संबंध कर्मचारी और बिचौलियों की मदद से इस वर्ष स्कूल में प्रवेश मिल गया है ।इसके लिए उन्होंने नर्सरी से पांचवी के बच्चों के लिए 20-20 हजार रुपए में सीट खरीदी है। 

पालकों का कहना है कि  आत्मानंद स्कूल के जरिए गरीब परिवार के बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए पिछली सरकार ने स्कूल खोलने का निर्णय लिया था। इसके बाद प्रथम वर्ष तो यह कार्य सुचारू रूप से चला।  इसके बाद इन स्कूलों में बड़े मंत्री विधायक और उनके परिचित के ही बच्चे प्रवेश ले पा रहे हैं। ऐसा सिर्फ आत्मानंद स्कूलों में ही नहीं बल्कि आरटीआई जैसी सुविधा के जरिए गरीब परिवार और पिछड़े वर्गों का भी है आईटीआई में पढऩे के लिए पालकों को मोटी रकम और जद्दोजहद करनी पड़ रही हैं। 

बताया जा रहा है कि जिला शिक्षा विभाग इसकी शिकायत होने पर भी इन्हें अनदेखा कर रही है वहीं बिचौलियों का कहना है कि आत्मानंद जैसे स्कूल में प्रवेश के लिए स्कूल प्रशासन और अधिकारियों को प्रत्येक छात्र का कमीशन देना होता है यह हमारे द्वारा नहीं  अधिकारियों की सांठगांठ में ही संभव है। बच्चों को प्रवेश के लिए?20000 निर्धारित किया गया है। जिसमें से कुछ कमीशन आगे देना होता है प्रत्येक कक्षा में लगभग 10 प्रतिशत बच्चों को ही प्रवेश दिया जा रहा है।

अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में प्रवेश मध्यम वर्गी परिवार के बच्चों लिए सपना: प्रदेश में चल रहे उत्कृष्ट विद्यालयों में मध्य और गरीब परिवार के बच्चों को प्रवेश पाना मुश्किल हो गया है। महंगाई के दौर में हर पालक की चाहता है कि बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके इसके लिए वे सरकारी आत्मानंद स्कूलों में बच्चों के प्रवेश के लिए प्रयास करते रहते हैं।  बेहतर शिक्षा के लिए करें भी तो क्या एक बच्चे की शिक्षा के लिए प्रतिवर्ष पालक को 30 से ?40 हजार खर्च करने होते हैं। जो की एक परिवार के सालाना बजट के लिए महंगा होता है। ऐसे में परिवार आत्मानंद स्कूलों की ओर रुख करते हैं और बिचौलियों के चक्कर में आकर मोटी रकम देकर बच्चों के प्रवेश के लिए मजबूर  हैं।
 

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