बलौदा बाजार
![उल्टा नाम जपत जग जाना बाल्मीकि भए ब्रह्म समाना- राजेश्री महन्त जी उल्टा नाम जपत जग जाना बाल्मीकि भए ब्रह्म समाना- राजेश्री महन्त जी](https://dailychhattisgarh.com/2020/chhattisgarh_article/16096837619.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
शिवरीनारायण, 3 जनवरी। राज्य गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज पीठाधीश्वर श्री दूधाधारी मठ रायपुर 2 जनवरी को विभिन्न कार्यक्रम में उपस्थित हुए। उन्होंने गायत्रीनगर, अवंती बिहार, रायपुर के जगन्नाथ मंदिर में आयोजित नौ दिवसीय रामकथा का दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार राजेश्री महन्त महाराज शाम 3.30 बजे श्री जगन्नाथ मंदिर में उपस्थित हुए यहां उन्होंने श्री प्रयागराज से पधारे हुए जगद्गुरु रामानुजाचार्य घनश्यामाचार्य महाराज तथा व्यास पीठ पर विराजित सुग्रीव किला अयोध्या निवासी अनंत विभूषित विश्वेश प्रपन्नाचार्य जी महाराज की गरिमामयी उपस्थिति में दीप प्रज्वलित कर राम कथा का शुभारंभ किया।
इस अवसर पर अपना आशीर्वचन प्रदान करते हुए राजेश्री महन्त महाराज ने कहा कि व्यास पीठ पर विराजित अनंत विभूषित अयोध्यावासी आचार्य जी इसके पूर्व श्री दूधाधारी मठ रायपुर एवं श्री शिवरीनारायण मठ में संगीतमय श्रीराम कथा एवं विराट संत सम्मेलन में व्यास पीठ पर विराजित हो करके राम कथा का रसपान छत्तीसगढ़ के श्रोताओं को करा चुके हैं। महाराज श्री अत्यंत विद्वान हैं और उत्कृष्ट वक्ता हैं उनकी वाणी में सरस्वती की कृपा बरसती है, राजेश्री महन्त महाराज ने कहा कि हम सब जिस रामायण को गाते हैं सुनते हैं और जिसकी कथा एक दूसरे को सुनाते हैं वह रामचरितमानस है इसकी रचना गोस्वामी तुलसीदास महाराज ने की है लेकिन इसके पूर्व वाल्मीकि जी महाराज ने संस्कृत भाषा में रामायण की रचना की उनके संदर्भ में श्री रामचरितमानस में लिखा है कि उल्टा नाम जपत जग जाना, बाल्मीकि भए ब्रह्म समाना। व्यास पीठ पर विराजित आचार्य जी ने राम कथा का रसपान कराते हुए श्रोताओं से कहा कि रामो विग्रहवान् धर्म: अर्थात भगवान राघवेंद्र सरकार साक्षात धर्म के विग्रह स्वरूप हैं वह धर्म के अवतार हैं इसलिए हम सभी सनातन धर्मावलंबियों को रामचरित्र को आत्मसात करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि कोरोना के महामारी ने भगवान की असीम कृपा दिखाई, यह अपना-अपना भाव है जिन लोगों ने भगवान के करुणा का अनुभव किया उन्होंने अपना 1 वर्ष का समय साधना, तपस्या और ईश्वर की प्राप्ति में बिताया। यहां यह उल्लेखनीय है कि राजेश्री महन्त जी महाराज ने इसके पूर्व ग्राम पिसीद में गौठान का निरीक्षण किया तथा वहां पूनाऊ राम पटेल एवं उसके परिवार के द्वारा आयोजित एक दिवसीय मानस के कार्यक्रम में भी शामिल हुए।