महासमुन्द
धान को हाथी, चूहे और दीमक से बचाना चुनौती
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुन्द, 11 फरवरी। महासमुन्द जिले के 138 धान खरीदी केंद्रों में धान को सुरक्षित रखना चुनौती बनी हुई है। इनमें से 114 केंद्र ऐसे हैं, जहां लिमिट से अधिक धान जाम है। कई केंद्र तो ऐसे हैं जहां क्षमता से 7 गुना ज्यादा धान स्टॉक कर रखा गया है।
धान खरीदी केंद्र सिंघी और पचरी में धान को चूहे और दीमक के बचाना चुनौती है। चर्चा है कि इन केंद्रों में रखरखाव में परेशानी होने के साथ ही धान जाम होने के कारण सूखत जैसी समस्या आने वाले दिनों में होगी और इसका खामियाजा समितियों को भुगतना पड़ेगा। जानकारी अनुसार धान खरीदी केंद्रों में चूहे भी धान को काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं। जिले में हालात यह है कि 10 फरवरी की स्थिति में जिले के 138 खरीदी केंद्रों में 35.24 लाख क्विंटल धान जाम है।
मालूम हो कि जिले में 1 दिसम्बर से धान की खरीदी समर्थन मूल्य में शुरू हुई है। शासन, समिति, डीएमओ, जिला सेवा सहकारी समिति मर्यादित बैंक के एग्रीमेंट के अनुसार खरीदी के बाद 72 घंटे के भीतर धान का परिवहन किया जाना था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यही कारण है कि खरीदी के 72 दिन बीत जाने के बाद भी केंद्रों में 35.24 लाख क्विंटल धान का उठाव नहीं हो पाया है। जबकि नियमानुसार खरीदी के 72 घंटे के भीतर ही समितियों से धान का परिवहन शुरू हो जाना था। लिहाजा धान खरीदी केंद्र नरतोरा में खरीदी केंद्र की क्षमता 13 हजार क्विंटल है, जो बफर लिमिट है। वर्तमान में यहां 39 हजार क्विंटल से अधिक धान जाम है। इसी तरह जेराभरन केन्द्र की बफर लिमिट की क्षमता 2000 क्विंटल धान की है। वर्तमान में यहां 20 हजार 460 क्विंटल धान जाम है, जो क्षमता का 1028 फीसदी होता है। यहां हालात काफी बुरे हैं।
ग्राम गेर्रा टेमरी धान खरीदी केन्द्र की क्षमता 4000 क्विंटल है लेकिन यहां 34 हजार 490 क्विंटल धान का स्टॉक जमा है और उठाव नहीं हुआ है। इसी तरह सलखंड खरीदी केंद्र की बफर लिमिट क्षमता 4 हजार क्विंटल की है। यहां कुल 29716 क्विंटल धान जाम है, जो 703 फीसदी है। वहीं रोहिना खरीदी केंद्र की क्षमता भी 4 हजार क्विंटल की है, लेकिन इस केंद्र में 28 हजार 137 क्विंटल धान जाम है। खरीदी केन्द्र बेल्डीह की बफर लिमिट क्षमता 6834 है, लेकिन यहां 38 हजार 258 क्विंटल धान कल 10 फरवरी तक की स्थिति में जाम है। धान खरीदी केंद्र लहंगर में 10 हजार 749 क्विंटल धान जाम है। जबकि लहंगर सर्वाधिक हाथी प्रभावित गांव है। पिछले 10 दिनों में कई बार हाथी यहां पहुंचकर धान को नुकसान पहुंचा चुके हैं। इसकी जानकारी विभागीय अधिकारियों को भी है।
इस मामले में अधिकारी कहते हैं कि फड़ के लिए केंद्रों से जब धान का उठाव किया जाता है तो सम्बंधित को टीओ जारी किया जाता है। इसके लिए सेंट्रलाइज्ड सिस्टम तैयार किया गया है जो एनआईसी व डीएमओ के स्तर पर जारी होता है। जब मिल के लिए केंद्रों से धान का उठाव करना होता है तो डीओ जारी किया जाता है। यह भी शासन व डीएमओ के स्तर से जारी होता है। राइस मिलर्स ऑर्डर मिलने के बाद ही केंद्रों से धान का उठाव कर सकते हैं। जिले में धान खरीदी के लिए कुल 138 केंद्र बनाए गए हैं। इन केंद्रों में ही किसानों का धान समर्थन मूल्य पर खरीदा जाता है।
डीएमओ अनिल जोशी कहते हैं कि वर्तमान में 60 प्रतिशत धान का उठाव हो चुका है। हमारे पास समितियों में जमा धान से सम्बंधित कोई ऐसी कोई शिकायत नहीं आई है।
शासन से 17 लाख क्विंटल धान समिति में ही रखने का आदेश आया है।