बलौदा बाजार

डेढ़ सौ कोटवारों ने 6 करोड़ की कोटवारी जमीन बेच दी, अब बन रही सूची
09-Mar-2021 5:56 PM
डेढ़ सौ कोटवारों ने 6 करोड़ की कोटवारी जमीन बेच दी, अब बन रही सूची

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 9 मार्च।
बलौदाबाजार जिले में कोटवारी जमीन खरीदी-बिक्री के मामले कई वर्षों से चल रहे हंै,  जिससे प्रशासन को हर साल करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ रहा है। अब प्रशासन ने ऐसे कोटवारों और खरीदारों की खबर लेनी शुरू कर दी है। 
बलौदाबाजार जिले में भी बड़ी संख्या में कोटवार शासन से मिले सेवाभूमि की बिक्री कर रहे हैं। कोटवारी जमीन बेचने के मामले में बलौदाबाजार व लवन तहसील पहले नंबर पर हैं। जानकारी के अनुसार इन दोनों तहसीलों में 142 कोटवारों ने 57 एकड़ शासकीय जमीन बेच डाली है। इस जमीन की अनुमानित बाजार कीमत 6 करोड़ रुपए है, जबकि स्थानीय प्रशासन इसकी कीमत बताने से इंकार कर रहा है। लिस्ट के मुताबिक बलौदाबाजार व लवन तहसील के 142 कोटवारों ने कुल 73 लोगों को 57 एकड़ जमीन बेच दी है। 

इस संबंध में एसडीएम महेश राजपूत ने कहा कि लिस्टिंग कर सिविल कोर्ट में दे दी जाएगी। मुझे आए कुछ ही दिन हुए हैं इसलिए शासकीय भूमि के विक्रय तथा उन पर हुए निर्माण की जानकारी नहीं है। 

142 कोटवारों को दी थी 428 एकड़ सेवाभूमि
आज से करीब 70 साल पहले मालगुजार गांव की सेवा में लगे कोटवारों, झांखर, पटेल, पुजारी अन्य सेवादारों को जीविकोपार्जन के लिए जमीन देते थे। कोटवारों को सर्वाधिक भूमि दी जाती थी इसलिए पुराने कोटवारों के नाम अधिकतम 30 एकड़ न्यूनतम 15 एकड़ सेवा भूमि दर्ज है। बलौदाबाजार व लवन तहसील में 428 एकड़ सेवा भूमि कुल 142 कोटवारों को दी गई थी। मालगुजारी प्रथा खत्म होते ही बाद में नियुक्त कोटवारों को 10 एकड़ सेवा भूमि निर्धारित की गई।

पहले एक ही परिवार से बनते थे कोटवार
पहले कोटवार पारंपरिक होते थे, यानी पीढ़ी दर पीढ़ी एक ही परिवार से बनते थे। बलौदाबाजार व लवन तहसील में 121 कोटवार पीढ़ी दर पीढ़ी कोटवारी का काम करने वाले हैं लेकिन समय बदलने के साथ दीगर परिवार से भी कोटवार बनने लगे। ऐसे कोटवारों की संख्या यहां 21 है। नियमत: जो भी कोटवार होगा उसे ही इस सेवा भूमि का लाभ दिया जाता है लेकिन शासन से मिली बेशकीमती जमीनों को अब कोटवार, पटेल व अन्य सेवादार पैसा कमाने की लालच में बेच रहे हैं। इस पर अब प्रशासन कठोर रूख अपनाकर सेवा भूमि बेचने वाले कोटवारों व खरीददारों की सूची तैयार कर रहा है ताकि इन पर कार्रवाई किया जा सके।

हाईकोर्ट के निर्णय ने रसूखदारों को हिला दिया
1950 के पहले जितने भी कोटवारी जमीन लोगों को अमल आवंटित की गई थी, उसकी खरीदी बिक्री नहीं हो सकती थी। छत्तीसगढ़ के उच्च न्यायालय बिलासपुर में दायर करीब 15 से 20 याचिकाओं पर लगातार सुनवाई करने के बाद यह फैसला आया है। सभी कोटवारी जमीन वापस करने के आदेश उच्च न्यायालय ने दिए हैं। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद कोटवारी भूमि की खरीदी करने वाले बलौदाबाजार जिल़े के सफेदपोश तथा उनके समकक्ष लोगों में भय व्याप्त हो गया है और उनकी दौड़ तहसील कार्यालय तक देखी जा रही है।

शासकीय जमीनों की भी हो रही है रजिस्ट्री
इतना ही नहीं शहर में करोड़ों रुपए की सरकारी जमीन की भी खरीदी बिक्री हो गई या फिर उन पर कब्जा कर लिया गया है, इसका एक उदाहरण बलौदाबाजार शहर के पंचशील नगर के पास स्थित लगभग 3 एकड़ सरकारी जमीन है जिसकी रजिस्ट्री कुछ रसूखदार लोगों ने पूर्व पटवारी से सांठगांठ कर अपने नाम करवा ली है। कई जमीनों को प्लाट कटिंग कर बेच दिया गया है, अगर ईमानदारी से जांच की गईं तो जमीन घोटाले का बड़ा मामला सामने आ सकता है।

सैकड़ों लोगों ने पट्टे की जमीन बेच डाली
जिलेभर में सैकडों गरीब लोगों को निवास के लिए पट्टे के रूप में जमीन दी गई मगर पट्टे वाली जमीन खरीदी बिक्री हो गई या फिर उन पर कब्जा कर लिया गया। 50 रुपए के स्टांप पेपर पर आज भी खरीदी बिक्री की लिखा पढ़ी लोगों के पास रखी हुई है। ऐसी जमीनों की कभी भी जांच नहीं की गई है। शासकीय भूमि पर कब्जा करने वाले कई ऐसे लोग भी हैं जो कब्जे के बाद अपने नाम पर पट्टा करवा लेते हैं, बाद में उसे बेचकर पुन: दूसरी शासकीय जमीन पर कब्जा कर लेते हैं।

कोर्ट के आदेश का उठाया गलत फायदा 
सोनपुरी में कुछ ही वर्षों में 18 से 20 रजिस्ट्रियां वर्ष 2003 में हाईकोर्ट ने दायर की गई एक याचिका के आधार पर सेवाभूमि को भूमि स्वामी का हक देने कहा था पर विक्रय के लिए कोई अधिकार नहीं दिए गए थे। कोर्ट के इसी आदेश का फायदा उठाकर सर्वाधिक जमीन बलौदाबाजार से लगे ग्राम सोनपुरी में बेची गई है, यहां पिछले कुछ सालों में 18 से 20 रजिस्ट्रियां इसी गांव की कोटवारी जमीन की हुई है।
 

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