बलौदा बाजार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कसडोल, 10 मार्च। बलार जलाशय से काफी अर्से बाद इस साल रबी फसल धान के लिए पर्याप्त पानी मिला है। जिससे कसडोल नगर सहित आसपास के ग्रामों की खेतों में हरियाली छाई हुई है। फसलों की स्थिति को देख किसान अच्छी पैदावार की उम्मीद में थे कि तनाछेदक बीमारी का प्रकोप का ग्रहण लग गया है। किसान निजात पाने के लिए कीटनाशक दवा का छिडक़ाव करने लगे हैं।
12 साल बाद भरा है लबालब बलार
कसडोल तथा आसपास के ग्रामों को विगत 12 साल बाद रबी फसल के लिए बलार जलाशय से सिंचाई पानी मिला है। कार्यपालन अभियंता जल संसाधन संभाग कसडोल टीसी वर्मा से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2008 के बाद वर्ष 2020 में खरीफ फसल के बाद भी जलाशय में लबालब पानी भरा था।
मिली जानकारी के अनुसार क्षेत्रीय विधायक एवं संसदीय सचिव शकुंतला साहू से कसडोल तथा आसपास के किसानों ने रबी फसल धान हेतु सिंचाई पानी की मांग की थी। जिस पर जल संसाधन संभाग अनुविभाग बलार द्वारा किसानों की मांग पर करीब 1200 हेक्टेयर कृषि भूमि में स्वीकृति दी थी। किसानों की मांग पर 25 दिसम्बर 2020 को ही मुख्य नहर में पानी छोड़ दिया गया था। जिससे जनवरी के अंत तक किसानों नें बोनी का काम सम्पन्न कर लिया था।
कार्यपालन अभियंता टी सी वर्मा के अनुसार जिन किसानों को पानी देनें की सहमति बनी थी, उसमें असनीद 250हेक्टे, हटौद 200 हेक्टे, बिलारी 200 हेक्टे, बैगनडबरी 200 हेक्टे, तथा कसडोल 350 हेक्टे, कुल 1200 हेक्टे, अर्थात 3 हजार हेक्टे, कृषि भूमि में सिंचाई की स्वीकृति बनी थी। जिसकी जानकारी संसदीय सचिव शकुंतला साहू ने क्षेत्रीय प्रवास जनसम्पर्क कार्यक्रम के दरम्यान किसानों को दी थी। चूंकि फसल सुरक्षा की अंदेशा पर किसानों में असमंजस की स्थिति दिख रही थी। किन्तु शनै: शनै: रकबा बढ़ता गया, जिसमें किसानों का कहना है कि उक्त अनुमानित रकबा से कहीं अधिक कृषि भूमि में खेती होने का अनुमान है।
रबी फसल धान की खेती किए किसानों में अच्छे हालात को देखकर भरपूर फसल की उम्मीद जगी थी। किन्तु विगत 2 जप्ताह से धान फसलों में तनाछेदक बीमारी की अधिकता नें किसानों को मायूस कर दिया है। बलार जलाशय से लाभान्वित सभी ग्रामों की फसल में बिमारी की शिकायतें हैं। प्रगतिशील कृषक सम्मेलाल साहू श्यामजीत साहू मनीष मिश्रा आशीष मिश्रा मधुदास आदि से मिली जानकारी के अनुसार भलवाही मौहाडबरी खूंटीखार खूंटाखर धौराभांठा खार के सभी खेतों में तनाछेदक बीमारी का प्रकोप है। इसी तरह ग्राम बैगनडबरी कुर्रहा बिलारी असनीद हटौद आदि ग्रामों के किसानों नें भी बिमारी से फसल को नुकसान होने की बात कही है।
उक्त ग्रामों के किसानों ने कीटनाशक दवाओं का एक साथ छिडक़ाव कहीं एक बार तो कहीं दोबारा कर दिया है। किसानों का कहना है कि बीमारी कंट्रोल में जरूर है किंतु पूरी तरह निजात नहीं मिला है। जिसके लिए किसान कृषि विभाग से सम्पर्क कर दवा का छिडक़ाव कर रहे हैं।
वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी कसडोल बीएस ठाकुर के अनुसार बलार जलाशय से सिंचित रकबा में ही बिमारी का प्रकोप है। विकासखंड कसडोल के अन्य क्षेत्रों राजा देवरी 42 गांव कोठारी बार अभ्यारण्य अर्जुनी सोनाखान लवन वन परिक्षेत्रों के ग्रामों सहित मैदानी क्षेत्र के ग्रामों जहां करीब 10 हजार एकड़ से अधिक कृषि भूमि में रबी फसल धान की खेती निजी सिंचाई भूमि गत बोर से हुई है। जिसमें किसी प्रकार की बिमारी की शिकायत नहीं होने की जानकारी किसानों जे मिली है।