बिलासपुर
आईजी ने कहा-सरकारी प्रक्रिया है, सरकार को जवाब देंगे
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 20 मार्च । आरपीएफ में हाल ही में किये गये पांच इंस्पेक्टरों का तबादला विवादों में घिर गया है। आईजी पर रेल मंत्रालय की गाइडलाइन का उल्लंघन करने और चहेते किन्तु गंभीर शिकायतों के बावजूद चहेतों को मनचाही जगह पोस्टिंग देने का आरोप लगा है। इसे लेकर सीधे मंत्री से शिकायत कर दी गई है। आरोपों पर आईजी ने इन तबादलों को सरकारी प्रक्रिया बता दिया।
रेलवे मंत्रालय की ओर से दिशानिर्देश है कि जिन अधिकारी, कर्मचारियों का तबादला किया जाना है उनसे तीन विकल्प मांगे जायें और उनमें से किसी एक पर उन्हें स्थानांतरित किया जाये ताकि पक्षपात का आरोप न लगे। इसके बावजूद बीते 15 मार्च को किये गये 16 इंस्पेक्टरों के तबादले में इस नियम का उल्लंघन किया गया।
रेल मंत्री से की गई शिकायत में कहा गया है कि आईजी ने दो अधिकारियों को ही उनकी पसंद से पोस्टिंग दी है, जो उनके चहेते हैं। इनके खिलाफ गंभीर शिकायतें होने के बावजूद रियायत बरती गई। बाकी तीन अधिकारियों से विकल्प ही नहीं पूछा गया।
मालूम हुआ है कि जिन दो अधिकारियों को मनचाही पोस्टिंग दी गई उनमें एक के क्षेत्राधिकार में कोयला चोरी का मामला जबलपुर की टीम ने पकड़ा था। उसे बिलासपुर मंडल में पसंद की जगह पर पोस्टिंग दी गई है। एक अन्य अधिकारी के विरुद्ध अवैध वसूली की शिकायत है। पर इन्हें कोई सजा देने के बजाय सुविधाजनक थानों में पोस्टिंग दे दी गई।
रेलवे में उन कर्मचारी अधिकारियों को तबादले से एक साल के लिये राहत दी जाती है जिनके बच्चों को 10वीं, 12वीं बोर्ड परीक्षायें देनी होती है। पर नागपुर मंडल के ऐसे दो इंस्पेक्टरों का भी तबादला उनके एक्सेंटशन के आवेदन पर विचार किये बगैर कर दिया गया।
कोरोना काल में वित्तीय संकट के कारण रेलवे के सभी विभागों में अभी अनावश्यक तबादलों पर रोक लगी है क्योंकि तबादले पर एक माह के वेतन के बराबर एलाउंस देना होता है। इसके बावजूद आरपीएफ ने ये तबादले कर दिये हैं। शिकायतकर्ताओं ने इन तबादलों को निरस्त करने की मांग की है।
इस सम्बन्ध में आरपीएफ आईजी एएन सिन्हा ने कहा कि इस बारे में उनका कोई बयान न डालें, सरकारी ट्रांसफर है, सरकार पूछेगी तो जवाब देंगे।