बिलासपुर

ब्लैक फंगस को लेकर आगाह किया प्रशासन ने, लक्षण दिखने पर स्वास्थ्य केन्द्र में तत्काल सम्पर्क करने कहा, मेडिकल कॉलेज में होगा इलाज
15-May-2021 8:30 PM
ब्लैक फंगस को लेकर आगाह किया प्रशासन ने, लक्षण दिखने पर स्वास्थ्य केन्द्र में तत्काल सम्पर्क करने कहा, मेडिकल कॉलेज में होगा इलाज

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 15 मई।
जिला प्रशासन द्वारा कोविड मरीजों में ब्लैक फंगस की बीमारी को लेकर सावधानी बरतने की अपील की गई है। कलेक्टर द्वारा होम आईसोलशन में रहकर आक्सीजन सिंलेडर, वेनटिलेटर का उपयोग करने वाले मरीजों को इसका ध्यान रखते हुए किसी भी प्रकार की समस्या होने पर नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में तत्काल संपर्क करने की अपील की गई है। प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में इसके इलाज की व्यवस्था की गई है।

प्रदेश के कुछ जिलों में यह बीमारी देखी जा रही है जो काफी लम्बे समय से ऑक्सीजन सिंलेडर उपयोग करते हैं। जिले के कोविड केयर सेंटर और होम आईसोलेशन में रहने वाले ऐसे कोरोना संक्रमित मरीज जिनके द्वारा आक्सीजन सिंलेडर, वेन्टिलेटर का उपयोग किया जा रहा है उनके लिए पानी की मात्रा का नियमित निगरानी करते हुए प्रतिदिन पानी बदलना आवश्यक है।

स्वास्थ्य विभाग ने पीड़ित मरीजों के उपचार हेतु राज्य के तकनीकी समिति के विशेषज्ञों द्वारा अनुशंसित स्टैन्डर्ड ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल राज्य के सभी चिकित्सा महाविद्यालयों को जारी किया है।

ब्लैक फंगस (म्युकरमाइकोसिस) एक फंगल संक्रमण है। यह उन लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है जो दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित है और दवाईयां ले रहे हैं। इससे उनकी प्रतिरोधात्मक क्षमता प्रभावित होती है। यदि व्यक्ति के शरीर में यह फंगस सूक्ष्म रूप में शरीर के अन्दर चला जाता है तो उसके साइनस या फेफड़े प्रभावित होंगे जिससे गम्भीर बीमारी हो सकती है। यदि इस बीमारी का इलाज समय पर नहीं किया गया तो यह घातक हो सकती है।

यह बीमारी कोविड-19 मरीजों में जो डायबीटिक मरीज हैं या अनियंत्रित डायबीटिज वाले व्यक्ति को, स्टेरोईड दवाईयां ले रहे व्यक्ति को या आई.सी.यू. में अधिक समय तक भर्ती रहने से यह बीमारी हो सकती है। 

बीमारी के लक्षणों में आंख, नाक में दर्द और आंख के चारों ओर लालिमा, नाक का बंद होना, नाक से काला या तरल द्रव्य निकलना, जबड़े की हड्डी में दर्द होना, चेहरे में एक तरफ सूजन होना, नाक/तालु काले रंग का होना, दांत में दर्द, दांतों का ढ़िला होना, धुंधला दिखाई देना, शरीर में दर्द होना, त्वचा में चकते आना, छाती में दर्द, बुखार आना, सांस की तकलीफ होना, खून की उल्टी, मानसिक स्थिति में परिवर्तन आना है।

धूल भरे स्थानों में मास्क पहनकर, शरीर को पूरे वस्त्रों से ढंक कर, बागवानी करते समय हाथों में दस्ताने पहन कर और व्यक्तिगत साफ-सफाई रख कर ब्लैक फंगस से बचा जा सकता है।

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