सुकमा

कोरोनाकाल में वनोपज से बाजारों में आई रौनक
28-May-2021 6:32 PM
कोरोनाकाल में वनोपज से बाजारों में आई रौनक

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

सुकमा, 28 मई। कोरोनाकाल में जहां प्रदेश के साथ-साथ देश भी आर्थिक मंदी से प्रभावित है। लेकिन जिले में वनोपज की भरमार के कारण ग्रामीण इलाकों में आर्थिक स्थिति काफी तेजी से उभर रही है। तेंदूपत्ता संग्रहण भी लक्ष्य के करीब पहुंच चुका है।और अनलाक होते ही अमचूर की आवक बाजार में तेजी से बढ़ गई है। साप्ताहिक बाजार बंद होने के कारण व्यापारी गांव-गांव जाकर अमचूर खरीद रहा है। जिसके कारण ग्रामीणों के पास पैसे आ रहे है और वो बाजारों में खरीदारी भी कर रहे है।

अनलाक के पहले दिन जिला मुख्यालय से लेकर करीब-करीब हर गांवों में अमचूर की खरीदारी जमकर हुई है। जहां पिछले दो माह से बाजारों की रौनक गायब थी, वही ंएकाएक रौनक लौट आई है। क्योंकि ग्रामीण इलाकों में आय का मुख्य स्त्रोत्र अमचूर भी है लेकिन लाकडाउन के कारण अमचूर व्यापारी खरीद नहीं रहे थे। जैसे ही अनलाक हुआ तो पहले ही दिन व्यापारियों ने टनों के हिसाब से अमचूर की खरीदारी की। अमचूर का भाव 70 रू. किलो है ऐसे में हर आदिवासी परिवार के पास अच्छी रकम चली जाती है। इस बार लाक डाउन में अधिकांश गांव वाले जंगलों से आम एकत्रित कर अमचूर भारी मात्रा में बनाई है अब उसे बेच रहे है। वो पैसा अब बाजारों में आ रहा है। पहले ही दिन सुबह से लेकर शाम तक दुकानों में ग्राहक पहुंच रहे थे और जरूरतमंद सामान की खरीदारी कर रहे थे।

 लक्ष्य के करीब पहुंचा तेंदूपत्ता खरीदी

प्रदेश के मंत्री कवासी लखमा के निर्देश पर जिले में लाक डाउन के दौरान वनोपज तेंदूपत्ता तोड़ाई व खरीदारी दोनों चालू थी। लिहाजा तेंदूपत्ता की खरीदारी लक्ष्य के करीब पहुंच चुकी है फिलहाल खरीदी जिले में बंद है। इस साल 90400 मानक बोरा का लक्ष्य रखा गया था उसके एवज में 73887.52 मानक बोरा की खरीदारी हो चुकी है। जिसका भुगतान करीब 29 करोड़ 55 लाख के करीब है। इतनी बड़ी रकम जिले के हितग्राहियों को नगदी दिया जाऐंगा। जिससे ग्रामीण इलाकों में आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और बाजारों में भी रौनक बढ़ेगी।

 आदिवासियों के आय का मुख्य स्त्रोत्र है वनोपज

जिले में ग्रामीण इलाकों में आय का मुख्य स्त्रोत्र वनोपज है। जिसमें वर्तमान में तेंदुपत्ता व अमचूर है। तेंदूपत्ता से जिले के करीब 58 हजार हितग्राहियों को सीधे तौर पर मदद मिलती है। तेंदूपत्तासे एक परिवार को अच्छी रकम मिल जाती है। वही अमचूर की भी दरे काफी बढ़ गई है। इस साल 70 रू. किलो खरीदी जा रही है। इससे भी अच्छी मोटी रकम मिल जाती है। लाक डाउन के दौरान इस बार दोनो फसलों पर आदिवासियों ने अच्छा काम किया।

लखमा के प्रयासों से मिल रहा लाभ

जब अविभाजित मध्यप्रदेश के समय मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने तेंदूपत्ताका सहकारीकरण कर दिया था जिसके बाद तेंदूपत्ता खरीदने की जिम्मेदारी प्रबंधकों की हो गई थी लेकिन समय पर न तो तेंदूपत्ता टूट रहा था और न ही खरीदारी जिसका नुकसान आदिवासियों को हो रहा था। जब छत्तीसगढ़ अलग राज्य बना और विधायक कवासी लखमा बने तो उन्होंने पहल की और सरकार से मांग की तब कहीं जाकर अविभाजित दंतेवाड़ा जिले में तेंदूपत्ता  का निजीकरण हुआ जिसके बाद ज्यादा दरों पर ठेकेदारों ने निविदा ली और आदिवासियों को लाभ हुआ। आज फिर कोरोना काल में मंत्री कवासी लखमा के प्रयासों के कारण जिले के हितग्राहियों को तेंदूपत्ता का नगदी भुगतान हो रहा है।

बोड्डू राजा उपाध्यक्ष जिपं सुकमा ने कहा कि मंत्री कवासी लखमा के प्रयासों के चलते तेंदूपत्ता  का नगद भुगतान की घोषणा हुई जिसके कारण कोरोनाकाल में लोगो को आर्थिक रूप से मदद मिलेगी। वहीं अनलाक होते ही व्यापारी अमचूर ले रहे है जिसका फायदा आदिवासियों को मिल रहा है। आदिवासियों का दोहरा फायदा के लिए मंत्री कवासी लखमा का आभार व्यक्त करते हैं। 

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