ताजा खबर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 4 अगस्त। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने तलाक की डिक्री के मामले में परिवार न्यायालय के फैसले को सही ठहराते हुए महिला की अपील खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि महिला ने बिना सबूत अपने पति पर मारपीट और चरित्र हनन के आरोप लगाए, जो क्रूरता की श्रेणी में आता है।
याचिकाकर्ता महिला नगर निगम बिलासपुर में कार्यरत हैं। उनका विवाह 29 जनवरी 2003 को बिलासपुर में हिन्दू रीति-रिवाज से हुआ था। उनका पति उनसे 10 साल छोटा और एक प्राइवेट दुकान में काम करता है। शादी के बाद से ही महिला का मायके आना-जाना लगा रहा, जिससे पति-पत्नी के बीच विवाद होता था।
3 जून 2004 को एक बच्चा होने के बावजूद, दोनों के बीच झगड़े जारी रहे। कुछ दिनों बाद, पत्नी अपने बच्चे को लेकर मायके चली गई और 2012 में पति के बुलाने पर भी वापस नहीं आई। पति ने तलाक की अर्जी परिवार न्यायालय में दी, जिसे स्वीकार कर लिया गया।
पत्नी ने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की, जिसमें तलाक को खारिज करने की मांग की गई थी। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पाया कि महिला के आरोप बिना किसी प्रमाण के थे। कोर्ट ने कहा कि महिला ने मारपीट और चरित्र हनन के आरोपों को साबित करने के लिए कोई दस्तावेज पेश नहीं किया।
इस आधार पर हाईकोर्ट ने परिवार न्यायालय के फैसले को बरकरार रखते हुए महिला की अपील खारिज कर दी।