दयाशंकर मिश्र

गलतियों के बिना !
12-Aug-2020 9:09 PM
गलतियों के बिना !

आज का संवाद एक कहानी से शुरू करते हैं। किसान को एक बार बहुत नुकसान उठाना पड़ा। वह पहले दुखी हुआ फिर नाराज। अपने ईश्वर पर। अपने कच्चे मकान के पास खड़े होकर उसने तेज आवाज में ईश्वर को ललकारते हुए कहा, तुमको खेती करना नहीं आता। समय पर पानी नहीं देते। बेमौसम बारिश करते हो। खड़ी फसल पर ओले फेंकते हो। पहले से फसल को मार देते हो। ऐसा लगता है तुम्हें खेती का बिल्कुल भी अनुभव नहीं है!

कहानीकार के अनुसार ईश्वर भी किसान से उतना ही प्यार करते थे, जितना किसान स्वयं ईश्वर से। प्यार हमेशा दोनों तरफ से होता है। वह दोनों ओर से नहीं है, तो उसे प्रेम की जगह कुछ और कहना चाहिए! किसान के ईश्वर ने उसकी चुनौती स्वीकार कर ली। ईश्वर ने उससे कहा, जैसा तुम चाहते हो, वैसा ही होगा। कहते जाओ, होता जाएगा! किसान को खेती का लंबा अनुभव था। उसने पूरी तैयारी की। एकदम सही मात्रा में पानी। सही मात्रा में धूप। उचित समय पर खाद और खरपतवार की सफाई सही समय पर। कहीं कोई गलती नहीं। उसने बेमौसम बारिश चाही नहीं, पाला चाहा नहीं। कीड़े-मकोड़े और दूसरे संकट फसल से दूर ही रहे। फसल ऐसे लहलहाने लगी कि किसान के आनंद का कोई ठिकाना न रहा। उसने अपने मित्रों से कहा भी, खेती करने का अनुभव काम आ रहा है, देखो।

जब फसल काटने के दिन आने लगे तो किसान का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। उसने समय पर फसल की कटाई के लिए पूरे गांव को इक_ा कर लिया। फसल हुई ही बहुत जोरदार थी। लेकिन यह क्या! फसल काटने को किसान खेत में दाखिल हुआ, तो देखता है कि बालियों में गेहूं अधपका है। फसल बाहर-बाहर तो ठीक दिख रही थी, लेकिन भीतर से ठीक तरह से पकी नहीं थी। गेहूं विकसित ही नहीं हो पाया था। किसान ने नाराजगी से ईश्वर की ओर देखा। ईश्वर ने आकाशवाणी की, फसल केवल सही चीजों का मिश्रण नहीं है। फसल के होने में प्रतिकूल मौसम से उसका संघर्ष भी शामिल है। फसल के पकने में कीड़े-मकोड़ों से लोहा लेना और खराब मौसम का सामना भी शामिल है। पाला भी शामिल है और खराब मौसम की आहट की घबराहट भी। फसल इससे तैयार होती है, मित्र! जैसे तुम्हारा जीवन है वैसे ही फसल है!

किसान इस बात को समझ गया कि फसल क्या है! जीवन क्या है। उसकी सुंदरता क्या है। जो जीवन का रहस्य समझ जाते हैं, वह जीवन के प्रति नाराज नहीं होते। उसके प्रति आभारी रहते हैं। सदैव कृतज्ञ रहते हैं। गलतियां जीवन को दिशा देने, सुंदर बनाने के लिए जितना काम करती हैं, उतना कोई भी दूसरा हमारे लिए नहीं कर सकता।

कृतज्ञता का सिद्धांत अनूठी जीवनशैली है। इस पर विस्तार से हम अगले अंकों में बात करेंगे। अभी तो केवल इतना ही कि हमें शिकायत करते हुए जीने की जगह कृतज्ञता के साथ जीने का अभ्यास करना चाहिए। प्रकृति और जीवन ने हमें जो दिया है, वह आनंद से भरा है। अगर कोई कमी है, तो वह हमारी सोच के पत्थर हैं। उन पत्थरों पर कोमलता के फूल खिलाने हैं। जिंदगी एक उजाला है। गलतियां उजाले की सहयात्री हैं। गलतियों के बिना जीवन संभव नहीं।

अनुभव और गलती/भूल साथ साथ चलने वाली जीवन क्रियाएं हैं। अगर कोई कहता है कि उसने अब तक जीवन में कोई गलती नहीं, तो उसका सरल अर्थ यही है कि उसका अब तक का जीवन जड़ है। उसमें गति नहीं। जहां गति नहीं है, वहां गलतियां भी नहीं होंगी। गलतियों के लिए गति का होना बहुत जरूरी है। जो अपने फैसले खुद नहीं करते। मनुष्य होने के गुण न पहचानते हुए चेतना से दूर मानसिक गुलामी में रहते हैं, ऐसे लोग कभी कोई गलती नहीं करते। जिंदगी का सौंदर्य घुमावदार, पर्वताकार रास्तों के बिना अपूर्ण है! गलतियों के बिना अधूरा है! गलतियों के बिना अधूरा, असुंदर है!

-दयाशंकर मिश्र 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news