दयाशंकर मिश्र

जिंदा रहना है और लडऩा है !
28-Aug-2020 11:57 AM
जिंदा रहना है और लडऩा है !

मुश्किल वक्त है, कसकर हाथ पकडक़र चलना है! एक-दूसरे के लिए जीना है, एक-दूसरे के साथ जीना है।

उसने कहा, अगर तुम्हारा फोन नहीं आता तो संभव है, हम इस जन्म में फिर बात न कर पाते। वह जीवन समाप्त करने की तैयारी कर रहा था! मुझे उसको लेकर कुछ बेचैनी हो रही थी, अजीब-सी घबराहट। मेरा टेलीपैथी में बड़ा यकीन है! कई दिन से बार-बार फोन करने के बाद भी उससे बात नहीं हो पा रही थी। किसी तरह बुधवार की रात बात हुई, तो देर रात तक चलती रही। मेरा एक दोस्त, सखा, सुख-दुख का गवाह मुश्किल लड़ाई में है। कोरोना ने उसे मुश्किल वक्त में डाल दिया है। सबकुछ ठीक होने के दावे के बीच अंधकार की खाई में पहुंच गया है। हमने मिलकर उम्मीद के रास्ते पर चलना शुरू किया है। यह सब बहुत निजी है उसके बाद भी इसलिए लिख रहा हूं ताकि हम सब यह समझ पाएं कि खतरा कितना बढ़ गया है।

आप सभी से मेरी दिल की गहराइयों से गुजारिश है कि अपनों से निरंतर बात करें। बार-बार संवाद करें। उन्हें कुछ समझाने की जगह केवल उनको सुनने की कोशिश करें। बहुत सीमित क्षमता, संसाधन के साथ मैं यही कोशिश कर रहा हूं। आप सबके साथ के लिए बहुत शुक्रिया! ‘जीवन संवाद’ की पूरी यात्रा इस साथ पर ही टिकी है। अपने हर उस व्यक्ति से गहरे संपर्क में रहिए, जिसके साथ आप जीना चाहते हैं! हम जीते हुए कई बार यह भूल जाते हैं कि एक-दूसरे से संपर्क सामान्य परिस्थितियों में भी रखना है, जिससे सबकुछ बिखरने से पहले खुद को बचाया जा सके!

ऊपर जो कुछ आपने पढ़ा है, उसे लिखते हुए ‘जीवन संवाद’ के 800 से अधिक अंको में से आज मुझे सबसे अधिक संतोष की अनुभूति हो रही है। इसके पहले भी अनेक पाठकों ने मुझे बताया कि इस कॉलम ने उनके जीवन को बचाने में मदद की है, लेकिन कल रात का अनुभव इस मायने में मेरे लिए नया था कि किसी ने मुझसे सीधे-सीधे स्वीकार किया कि वह अपना जीवन समाप्त करने ही जा रहा था। उसके बाद लगभग घंटे-घंटे की बातचीत।

जीवन की आस्था से जुड़ी कहानियों की लंबी चर्चा, सुख-दुख की व्याख्या के बीच अपने मित्र को जीने के लिए राजी करना मेरे लिए सबसे कठिन चुनौती थी। ठीक वैसे ही जैसे डॉक्टर के लिए अपने निकट संबंधी का जटिल ऑपरेशन करने का निर्णय लेना।

‘जीवन संवाद’ के सफर में आप सबकी ओर से मिले विश्वास, प्रेम ने मुझे जीवन के प्रति जो नजरिया दिया है, उसके लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं! फिलहाल यही कहना चाहूंगाा कि फूल को अकेले ही खिलना होता है, लेकिन उसकी खुशबू सबको मिलती है। जीवन में संघर्ष का सामना भी कुछ इसी तरह करना चाहिए। फूल की तरह हमें खुद को शक्ति से भरने का हुनर सीखना होगा! मुश्किल वक्त है, कसकर हाथ पकडक़र चलना है! एक-दूसरे के लिए जीना है, एक दूसरे के साथ जीना है। (hindi.news18)
-दयाशंकर मिश्र

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