बस्तर

पशुओं को ठौर मिलने के साथ ही महिलाओं को मिली आर्थिक समृद्धि की राह
01-Aug-2021 7:56 PM
पशुओं को ठौर मिलने के साथ ही महिलाओं को मिली आर्थिक समृद्धि की राह

मंगनार गौठान में आजीविका मूलक कार्यों के जरिए महिलाओं ने की लाखों की कमाई

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 1 अगस्त।
मंगनार का गौठान जहां, दोपहर के समय मवेशी साल वृक्षों के नीचे आराम करते दिखते हैं, वहीं इसी जगह बने शेड में महिलाएं अपनी आजीविका को बेहतर बनाने के लिए काम करती हुई दिखती हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का सपना मंगनार में साकार होता दिख रहा है। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने इस वर्ष 26 जनवरी को विकासखण्ड बकावण्ड के ग्राम मंगनार स्थित गौठान का अवलोकन किया था।

पशुओं से फसलों की सुरक्षा और सडक़ों में घुमने पशुओं से दुर्घटना की संभावना को ध्यान में रखकर राज्य सरकार ने गौठानों में पशुओं को रखने के लिए ग्रामीणों को प्रेरित किए। जागरूक ग्रामीण अपने पशुओं को गौठानों में रखकर गोधन का संरक्षण कर रहे हैं। गौठान के निर्माण के बाद यहां पशुओं के लिए पेयजल, चारागाह का निर्माण भी किया गया है। इसके लिए यहां लगभग एक एकड़ क्षेत्रफल में नेपियर की घास लगाई गई है। पशुओं के पीने के लिए पानी की भी अच्छी व्यवस्था है। गौठान में मिलने वाली सुविधाओं के कारण मवेशियों को यहां रहने में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं हो रही है। मवेशियों के गोबर से केंचुआ खाद बनाने का कार्य प्रारंभ करने के साथ ही गोधन न्याय योजना के प्रारंभ होने के बाद पशुपालकों से भी गोबर खरीदकर खाद सहित गमला, दिया आदि सामग्री का निर्माण किया जा रहा है।

मंगनार गौठान में महिलाएं केंचुआ= खाद बनाने के साथ ही यहां केंचुओं की बिक्री का कार्य भी किया जा रहा है। इसी परिसर में मछलीपालन, मधुमक्खी पालन, नर्सरी कार्य, दिया निर्मा, कुक्कुट पालन, दोना पत्तल निर्माण, केले की खेती और मशरुम उत्पादन जैसे विभिन्न कार्य भी कर रही हैं। पंचवटी महिला स्वसहायता समूह द्वारा अब तक चार लाख रुपए से अधिक का खाद विक्रय करने के साथ ही 3 लाख 84 हजार रुपए का केंचुआ भी विक्रय किया गया है। सामुहिक बाड़ी का कार्य कर रही देवांशी महिला स्वसहायता समूह ने भी एक लाख 83 हजार रुपए की सब्जी का उत्पादन किया। यहां मछली पालन का कार्य कर रही निशा स्वसहायता समूह ने 18 हजार रुपए और मधुमक्खी पालन का कार्य कर रही अलेख महिमा स्वसहायता समूह ने 5 हजार रुपए की आमदनी की है। झाड़ी बैरी माता स्व सहायता समूह द्वारा एक लाख 74 हजार रुपए के पौधे यहां तैयार किया गया। प्रगति स्वसहायता समूह ने 35 हजार रुपए की आमदनी गोबर से बनाए गमले और दीयों से हासिल की। मातागुड़ी स्वसहायता समूह कुक्कुट पालन से 43 हजार रुपए की कमाई की। मां दंतेश्वरी भगवती स्वसहायता समूह ने 65 हजार रुपए के दोना पत्तल का निर्माण किया। मशरुम उत्पादन करने वाली चंपाफूल स्वसहायता समूह ने 25 हजार रुपए और केले की खेती कर रही मोंगराफूल स्वसहायता समूह ने भी अब तक चार हजार रुपए की आमदनी हासिल की है। कृषि यंत्र की सुविधा उपलब्ध कराने वाली खुशबू स्वसहायता समूह ने 2 लाख 94 हजार रुपए से अधिक की आय अर्जित की है। बस्तर में पहली बार मोतियों की खेती भी इसी गौठान में मछली पालन का कार्य रही निशा स्वसहायता समूह ने शुरु की है।

यहां गौठान निर्माण के बाद महिलाओं को अपनी बेहतर आर्थिक स्थिति के लिए एक आशा की किरण नजर आई है। इन महिलाओं ने बताया कि वे सुबह अपने घर का कामकाज कर यहां भोजन लेकर आती हैं और शाम तक यहां काम करती हैं। शासन द्वारा उपलब्ध कराए गए संसाधन और प्रशिक्षण का परिणाम है कि वे अपने घर को समृद्ध बनाने के लिए योगदान दे रही हैं। यहां मोती के लिए सीप पालन का कार्य करने वाली निशा स्व सहायता समूह की नीलिमा ने बताया कि उनकी एक साल के बच्चे को भी वे यहां लेकर आती हैं। यहां कार्य करते हुए बच्चे की देखरेख में भी किसी प्रकार की समस्या नहीं होती।
 

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