बलौदा बाजार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 13 सितंबर। भारत सरकार ने वर्ष 2025 जबकि छत्तीसगढ़ शासन ने वर्ष 2023 तक प्रदेश से टीबी रोग के उन्मूलन का लक्ष्य रखा है। इस हेतु प्रदेश स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के निर्देश पर प्रत्येक जिले में 10 सितंबर से 10 अक्टूबर तक सघन टीबी खोज अभियान शुरू किया गया है।
इस अभियान के अंतर्गत मितानिन तथा स्वास्थ्य कार्यकर्ता ग्रामीण एवं शहरी दोनों ही क्षेत्रों में घर-घर भ्रमण कर संदेहास्पद मरीजों की खोज करेंगे। अभियान के संबंध में जानकारी देते हुए जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.खेमराज सोनवानी ने बताया कि यह सघन खोज अभियान जिले के प्रत्येक ग्राम एवं प्रत्येक शहरी क्षेत्रों में चलेगा एवं संदेहास्पद मरीज के लिए जांच एवं उपचार पूरी तरह से नि:शुल्क है।
जिला क्षय अधिकारी डॉ.राजेश कुमार अवस्थी ने अभियान के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि कोई भी व्यक्ति जिसे दो हफ्ते से अधिक अवधि की खांसी हो, भूख न लग रही हो, वजन में कमी, छाती में दर्द, शाम को हल्का बुखार और गले में गांठ हो तो उसे टीबी रोग हो सकता है। ऐसी स्थिति में मरीज को तुरंत ही नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क करना चाहिए जहां इसकी जांच और उपचार पूरी तरह से नि:शुल्क है। कोई भी व्यक्ति जिसे टीबी है। वह 6 महीने का डॉट्स का कोर्स करके पूरी तरह से ठीक हो सकता है। उन्होंने आगे बताया कि जिले में वर्ष 2020 में कुल 1220 तथा वर्ष 2021 में अब तक 747 टी बी के मरीज पहचान की गयी है।
उन्होंने आगे कहा कि क्षय रोग दुनिया में एक बड़ी समस्या है। वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य में 148 केस प्रति लाख की जनसंख्या पर मिल रहे है। जिसे रोग के उन्मूलन के लिए प्रति लाख 40 केस तक लाना होगा। शासन का पूरा प्रयास है कि अधिक से अधिक मरीजों की पहचान हो तथा उनका उपचार किया जाए। इसलिए ही यह सघन खोज अभियान शुरू किया गया है। उपचार न होने की दशा में टी बी रोग जानलेवा हो सकता है। इसी प्रकार यदि बीच में दवाई खाना छोड़ दिया जाए तो मरीज के भीतर दवा प्रतिरोध टीबी उत्पन्न होने की आशंका होती है, जिसमें टीबी के उपचार की साधारण दवाइयां काम नहीं करती और इस दवा प्रतिरोधी टी बी का उपचार भी काफी लंबा चलता है।
टीबी की जांच हेतु शासन ने माइक्रोस्कोपिक जांच एक्सरे एवं जिला अस्पताल में आधुनिक जीन एक्सपर्ट मशीन की सुविधा दी है जिसके माध्यम से सटीक स्थिति का पता लगाया जा सकता है।
यह जांच पूरी तरह से नि:शुल्क हैं। शासन की योजना के तहत कोई भी मरीज जो टीबी का उपचार ले रहा है। उसे उपचार के दौरान पोषण हेतु 5 सौ रुपये प्रतिमाह की सहायता राशि भी दी जाती है इसके साथ ही साथ यदि कोई व्यक्ति किसी संदेहास्पद मरीज को टीबी जांच हेतु प्रोत्साहित करता है और जांच में वह मरीज पॉजिटिव आ जाता है, तो उस प्रोत्साहनकर्ता को भी 5 सौ रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है।
व्यक्ति यदि टीबी होने पर अपना उपचार नहीं कराता तो वह 10 से 15 लोगों को यह रोग फैला सकता सकता है। टीबी एक संक्रामक रोग है जो कि हवा के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। इससे बचाव के लिए मास्क का उपयोग करना इधर -उधर न थूकना,लक्षण होने पर जांच उपचार लेना, पूरा कोर्स करना जैसी बातों को अमल में लाना होता है। इसके साथ ही नवजात शिशु को बीसीजी का टीका अवश्य लगवाएं।मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तथा जिला क्षय अधिकारी ने सभी से इस खोज अभियान के अंतर्गत लक्षण होने पर सामने आकर जांच और उपचार कराने की अपील की है। ताकि जिला और प्रदेश सहित देश से भी टीबी रोग का उन्मूलन किया जा सके।