बालोद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दल्लीराजहरा, 9 फरवरी। भिलाई इस्पात संयंत्र के बंधक खदान राजहरा खदान समूह में कुछ श्रम संगठन और श्रमिक नेता ऐसे भी हैं जो प्रबंधन के अधिकारियों को गुमराह करते हुए ठेका श्रमिकों का शोषण करने में ठेकेदार के सहायक बनते हैं।
उक्त आरोप लगाते हुए भारतीय मजदूर संघ से सम्बद्ध खदान मजदूर संघ भिलाई के उप महासचिव लखन लाल चौधरी ने बताया कि संघ को ठेका श्रमिकों के माध्यम से यह जानकारी मिली कि दल्ली यंत्रीकृत खदान में कुछ ठेकों में कार्यरत श्रमिकों को वर्ष 2017 के ठेके में उल्लेखित सोडेक्सो कूपन की राशि, कुछ ठेकों के बोनस राशि एवं कुछ ठेकों के समाप्ति के उपरांत श्रमिकों के बकाया अर्जित छुट्टी का पैसा जो उनका वैधानिक हक है अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है और कुछ ऐसे श्रमिक नेता जो दशकों से अपने आप को श्रमिकों का मसीहा साबित करने का लगातार प्रयास करते रहे हैं वे प्रबंधन के उच्च अधिकारियों से मिलकर इन ठेकेदारों द्वारा श्रमिकों को बकाया छुट्टी का पैसा नहीं देने को सही ठहराते हुए उन ठेकेदारों का फाइनल बिल पास करने की वकालत कर रहे हैं। इसके अलावा ठेका समाप्ति के उपरांत सभी ठेकेदारों का यह वैधानिक और नैतिक बाध्यता है कि वे अपने ठेके में कार्यरत श्रमिकों के पीएफ अकाउंट को क्लोज करें किंतु अधिकांश ठेकों में ऐसा नहीं किया जाता है जिसके वजह से श्रमिकों के पी एफ खाते में पैसा तो दिखता है लेकिन श्रमिक उक्त पैसे को निकाल नहीं पाते हैं।
उक्त शिकायत मिलने पर और श्रमिकों के साथ हो रहे इस अन्याय को गंभीरता से लेते हुए भा.म.सं. ने पहल करते हुए प्रबंधन के उच्च अधिकारियों से लगातार संपर्क किया, जिसके उपरान्त विगत पांच वर्षों से अटका सोडेक्सो कूपन का पैसा श्रमिकों को प्राप्त हुआ। जिसके लिए संघ राजहरा खदान समूह और बी एस पी प्रबंधन को धन्यवाद और साधुवाद देता है। जहाँ तक श्रमिकों के बोनस और बकाया अर्जित छुट्टी के पैसे की बात है तो संघ ने इस सम्बन्ध में दल्ली यंत्रीकृत खदान के महाप्रबंधक सिरपुरकर एवं खदान के मुख्य महाप्रबंधक तपन सूत्रधार से इस सम्बन्ध में मिलकर चर्चा की और ज्ञापन सौंपते हुए यह कहा कि बोनस और बकाया अर्जित छुट्टी का पैसा ठेका श्रमिकों का वैधानिक हक है और उसे किसी भी हालत में श्रमिकों को दिलवाने हेतु भा.म.सं. प्रतिबद्ध है।
माइंस एक्ट 1952 के सेक्शन 52(1)(ड्ढ), 52(8), 352(10) के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि बकाया अर्जित छुट्टी का पैसा प्राप्त करना ठेका श्रमिकों का कानूनी अधिकार है और ठेकेदार की कानूनी बाध्यता है। यहाँ यह सोंचने की बात है कि बोनस और बकाया अर्जित छुट्टी के पैसे को माफ कराने हेतु एक ऐसे तथाकथित श्रमिक नेता भी सक्रीय रहे हैं जो खुद भी ठेकेदारी करते हैं और जिनके ऊपर सप्रमाणिक रूप से एक महाप्रबंधक के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रचते हुए ठेका श्रमिकों के शोषण करने और कंपनी के साथ धोखाधड़ी करने के सप्रमाणिक आरोप लगे हैं तथा वर्तमान में संघ उक्त प्रकरण को जनहित याचिका के माध्यम से उच्च न्यायलय के समक्ष रखते हुए उसपर समुचित कानूनी कारवाई करने की मांग करना तय कर चुकी है।