बलौदा बाजार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 24 फरवरी। जिले में उच्च शिक्षा की दहलीज चढऩे या पार करने में बेटियों ने लडक़ों को पीछे छोड़ दिया है। 15 साल पहले स्नातक व स्नातकोत्तर की शिक्षा पाने वाले प्रति 100 लडक़ों पर लड़कियों की औसत संख्या मात्र 27 थी जो अब बढक़र 101 हो गई है। इस साल जिले के 13 सरकारी व दो निजी कॉलेजों में 9870 नियमित छात्रों ने नामांकन भरा है। इसमें 4820 छात्र हैं, जबकि 5050 छात्राएं यानी उच्च शिक्षा की दहलीज पर अब लडक़ो से ज्यादा लड़कियां खड़ी है। 15 साल पहले 2007 की स्थिति पर गौर करें तो क्षेत्र के 8 कालेजों में कुल 3063 छात्र थे। जिसमें छात्राओं की संख्या सिर्फ 810 थी यानी मात्र 26 दशमलव 44 फीसदी पिछले वर्षों की तुलना में नामांकन का आंकड़ा भी बढ़ा है।
पिछले वर्ष जिले में सरकारी कॉलेज में पढऩे वालों की संख्या 7865 थी जो इस वर्ष बढक़र यानी पिछले साल के मुकाबले 2005 छात्रों ने ज्यादा एडमिशन लिया है। बलौदा बाजार जिले में आज 13 सरकारी और दो निजी कॉलेज चल रहे हैं, जिले की वर्तमान सीमा ही 1930 में स्थापित बलौदाबाजार तहसील की सीमा है। जहां 1963 में पहला कॉलेज खुला जो आज का डीके कॉलेज है। 1994 में भाटापारा में कॉलेज खुला जो आज का गजानंद कॉलेज है। इसके बाद भी तक यानी 1984 तक कोई कॉलेज नहीं खुला 1984 में कसडोल में कॉलेज खुला 1989 मैं कन्या महाविद्यालय बलौदाबाजार बलारी कसडोल बिलाईगढ़ भडग़ांव में कॉलेज खुले यही समय था जब छात्रों में कॉलेज जाने की लालसा जगी पूरे बलौदाबाजार जिले में केवल बलौदाबाजार जिला मुख्यालय में ही कन्या महाविद्यालय है, जबकि विगत 15 वर्षों में खुले 5 शासकीय और दो निजी महाविद्यालयों में भी छात्रों की संख्या छात्रों से ज्यादा है।
आरक्षण और साक्षरता दर में वृद्धि है बड़ा कारण
हर तरफ छात्राओं की पढ़ाई के लिए प्रेरित करने वाला माहौल बना रहा है। शिक्षा विदित सेवा निर्मत प्रोफेसर एम एस पाध्ये का कहना है कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में लड़कियों की बढ़ती रूचि का मुख्य कारण सरकार का महिलाओं के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण कन्या छात्रा में वृद्धि के लक्षण में सफलता लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में महिलाओं की सफलता का बढ़ता प्रतिशत सीए एमबीए विधि के क्षेत्र में रोजगार सहित सेवा के अवसरों की वजह से उच्च शिक्षा के प्रति छात्राओं के रुझान में यह वृद्धि हुई है।
छात्राओं को मिली विशेष छूट ने भी बढ़ाया रुझान
डीके कॉलेज में गणित के प्रोफेसर डॉक्टर पुरुषोत्तम झा का मानना है कि सरकार द्वारा उच्च शिक्षा में ताश की निधि कोष की राशि माफ करने पीजी में सीट खाली करने पर छात्राओं को न्यूनतम प्राप्तांक प्रतिशत में छूट देने एससी एसटी के छात्राओं को निशुल्क कोचिंग पुस्तके उपलब्ध कराने जैसी योजनाएं चल रही है इससे भी छात्राओं का नामांकन बड़ा है। प्रोफेसर बोले बालकों की मानसिकता भी बदल दी है।
समाजशास्त्र के प्रोफेसर सीके चंद्रवंशी का कहना है कि पहले माता-पिता अपनी बेटियों की पढ़ाई लिखाई पर ज्यादा जोर नहीं देते थे लेकिन अब के पालक ऐसी मानसिकता नहीं रखते हुए अपनी बेटियों को मन मुताबिक शिक्षा दिलाने का हर संभव प्रयास करते हैं छत्तीसगढ़ राज्य बनने से पूर्व सन् 2000 से पहले कॉलेज में बमुश्किल 20 फीसदी छात्र प्रवेश लेती थी और बस इतने ही समय तक कॉलेज में पढ़ती थी जब तक विवाह नहीं हो जाता था।