बस्तर

कांग्रेसियों ने मनाई अंबेडकर जयंती
14-Apr-2022 9:28 PM
कांग्रेसियों ने मनाई अंबेडकर जयंती

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 14 अप्रैल।
बस्तर जिला कांग्रेस कमेटी शहर द्वारा राजीव भवन सहित अंबेडकर वार्ड के तिरंगा चौक में भारत रत्न संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती सादगी और गरिमा के साथ मनाई गई सर्वप्रथम उनके छायाचित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई।

जिलाध्यक्ष राजीव शर्मा ने उनकी जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश में स्थित महू नगर सैन्य छावनी में हुआ था। उनका परिवार कबीर पंथ को माननेवाला मराठी मूूल का था और वो वर्तमान महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में आंबडवे गाँव का निवासी था। वे हिंदू महार जाति से संबंध रखते थे, जो तब अछूत कही जाती थी और इस कारण उन्हें सामाजिक और आर्थिक रूप से गहरा भेदभाव सहन करना पड़ता था। डॉ.भीमराव आम्बेडकर के पूर्वज लंबे समय से ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में कार्यरत रहे थे और उनके पिता रामजी सकपाल, भारतीय सेना की महू छावनी में सेवारत थे तथा यहां काम करते हुये वे सूबेदार के पद तक पहुँचे थे। उन्होंने मराठी और अंग्रेजी में औपचारिक शिक्षा प्राप्त की थी। अपनी जाति के कारण बालक भीम को सामाजिक प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा था।

विद्यालयी पढ़ाई में सक्षम होने के बावजूद छात्र भीमराव को छुआछूत के कारण अनेक प्रकार की कठनाइयों का सामना करना पड़ता था। 7 नवम्बर 1900 को रामजी सकपाल ने सातारा की गवर्न्मेण्ट हाइस्कूल में अपने बेटे भीमराव का नाम भिवा रामजी आंबडवेकर दर्ज कराया।

 उनके बचपन का नाम भिवा था। आम्बेडकर का मूल उपनाम सकपाल की बजाय आंबडवेकर लिखवाया था, जो कि उनके आंबडवे गाँव से संबंधित था। क्योंकि कोकण प्रांत के लोग अपना उपनाम गाँव के नाम से रखते थे, अत: आम्बेडकर के आंबडवे गाँव से आंबडवेकर उपनाम स्कूल में दर्ज करवाया गया।

बाद में एक देवरुखे ब्राह्मण शिक्षक कृष्णा केशव आंबेडकर जो उनसे विशेष स्नेह रखते थे, ने उनके नाम से अंबडवेकर हटाकर अपना सरल अंबेडकर उपनाम जोड़ दिया। तब से आज तक वे अंम्बेडकर नाम से जाने जाते हैं। अम्बेडकर विपुल प्रतिभा के छात्र थे। उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स दोनों ही विश्वविद्यालयों से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्राप्त कीं तथा विधि, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में शोध कार्य भी किये थे। व्यावसायिक जीवन के आरम्भिक भाग में ये अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे एवं वकालत भी की तथा बाद का जीवन राजनीतिक गतिविधियों में अधिक बीता। इसके बाद अम्बेडकर भारत की स्वतन्त्रता के लिए प्रचार और चर्चाओं में शामिल हो गए और पत्रिकाओं को प्रकाशित करने, राजनीतिक अधिकारों की वकालत करने और दलितों के लिए सामाजिक स्वतंत्रता की वकालत की और भारत के निर्माण में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा।

महापौर सफीरा साहू ने कहा  कि हिन्दू पन्थ में व्याप्त कुरूतियों और छुआछूत की प्रथा से तंग आकार सन 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया था। सन 1990 में, उन्हें भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से मरणोपरान्त सम्मानित किया गया था। 14 अप्रैल को उनका जन्म दिवस आम्बेडकर जयन्ती के तौर पर भारत समेत दुनिया भर में मनाया जाता है। डॉक्टर की विरासत में लोकप्रिय संस्कृति में कई स्मारक और चित्रण शामिल हैं।

ब्लॉक अध्यक्ष द्वय राजेश चौधरी, कैलाश नाग, सतपाल शर्मा,शहनाज़ बेगम,पार्षद दीपा नाग,सुनीता सिंह,बी ललीता राव, शुभम यदु,कौशल नागवंशी,हरिशंकर सिंह,छबिश्याम तिवारी,नरेंद्र तिवारी,एम वेंकट राव,अंजना नाग,अफऱोज़ा बेगम,नन्दू दास,सुधीर सेन,वीर नारायण दुधि सहित कार्यकर्ता व वार्डवासी उपस्थित थे।

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