रायपुर

ओपीएस में लौटे मृत कर्मियों के आश्रित भटक रहे पेंशन के लिए
31-Jul-2022 10:23 PM
ओपीएस में लौटे मृत कर्मियों के आश्रित भटक रहे पेंशन के लिए

17 हजार करोड़ की मिलने का इंतजार कर रही सरकार

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 31 जुलाई। 2004 के बाद मृतक राज्य संवर्ग के अधिकारी कर्मचारियों के आश्रित फैमली पेंशन के लिए भटक रहे हैं। ये सभी, एक अपै्रल से लागू ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) में लौट आए हैं। चार माह बाद भी राज्य शासन इस पर निर्णय नहीं ले पाया है।

संचालनालय पेंशन कोष लेखा के सूत्रों के मुताबिक ऐसे परिवारों की संख्या लगभग एक हजार के आसपास है। ये परिवार हफ्ते दो हफ्ते में महानदी और इंद्रावती भवन के चक्कर लगाने मजबूर है और हर बार बैरंग लौटना पड़ता है। सूत्रों का कहना है कि एक अपै्रल से ओपीएस लागू होते ही 04 के बाद रिटायर या मृत अधिकारी-कर्मचारी भी इसके दायरे में आ गए हैं। इन्हें भी ओपीएस के तहत ही पेंशन, ग्रेच्युटी आदि दिया जाना हे। किन्तु सरकार से अब तक, भुगतान के आदेश जारी नहीं हो पाया है। जिससे मृतकों के आश्रित खासकर महिलाएं दिक्कतों का सामना कर रही है। ये सभी अंशदायी पेंशन स्कीम (सीपएस) वाले कर्मचारी है। इधर सरकारी सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार से, एनपीएस के तहत जमा 17 हजार करोड़ रु की वापसी के लिए पत्र व्यवहार किया गया है, राशि मिलने पर भुगतान किया जाएगा।

जहां तक राज्य के खजाने से देने की बात है, तो यह सरकार के पास विचाराधीन है। केंद्र से सीपीएस की राशि हासिल करने अपै्रल में ही पत्र व्यवहार किया गया था। उसके बाद से कोई प्रयास नहीं किया गया। फलस्वरूप अब तक राशि मिलने की संभावना नजर नहीं आ रही है। सरकार, यह सोचकर निश्चित हो गई है कि उस पर पेंशन भुगतान का भार 2035 के बाद ही आना है तब तक कोई न कोई सरकार 17 हजार करोड़ हासिल कर ही लेगी।

66 सौ करोड़ की बचत फिर भी डीए नहीं दे रही सरकार

5 हजार करोड़ डीए का हिसाब यहां देखें

एनपीएस का 10 प्रतिशत अंशदान बचने के बावजूद कर्मचारियों के साथ की जा रही क्रुरता, छत्तीसगढ़ राज्य में कर्मचारी अधिकारियों की कुल संख्या 4,06,864 है, जिसमें एन पी एस  कर्मचारियों की संख्या 2 लाख 93 हजार है। ओल्ड पेंशन लागू करने के बाद छ.ग. सरकार को प्रतिवर्ष 1680 करोड़ की शुद्ध बचत हो रही है।

वहीं जनवरी 2020से कुल (31माह का) का डीए नहीं दिया गया है, आईये एक प्रारंभिक न्यूनतम वेतन से गणना करके देखते हैं। एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का न्यूनतम वेतन 15600? कुल 31 माह का लंबित डीए 49,920?, राज्य में कर्मचारियों की संख्या 55,542&49920= 278 करोड़, एक तृतीय श्रेणी कर्मचारी का न्यूनतम वेतन 19500? कुल 31 माह का लंबित डीए 62400?, राज्य में कर्मचारियों की संख्या 3,06,648 & 62400= 1914 करोड़, एक द्वितीय श्रेणी कर्मचारी/अधिकारी का न्यूनतम वेतन 35400? कुल 31 माह का लंबित डीए 113280? राज्य में कर्मचारियों की संख्या 40,350 & 1,13280= 458 करोड़,  इसके अतिरिक्त यदि शिक्षकों एवं राज्य के 80 हजार पेंशनरों के 31 माह के एरियर्स की गणना करें तो लगभग 2350 करोड़ रूपए का नुक्सान पेंशनरों एवं शिक्षकों को हो चुका है।

कुल योग- चतुर्थ श्रेणी 2778 करोड़ + तृतीय श्रेणी 1914 करोड़+ द्वितीय श्रेणी 458 करोड़ + शिक्षक एवं पेंशनर्स 2350 करोड़+ हृक्कस् कि वार्षिक बचत 1680 करोड़ = कुल योग 6680 करोड़। (ई कोष के अनुसार )

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