रायपुर
कल नाग पंचमी मंदिरों में शिव के साथ पूजे जायेंगे नाग देवता
छत्तीसगढ़ संवाददाता
रायपुर, 1 अगस्त। नाग पंचमी का त्योहार सावन माह की शुक्ल पंचमी को मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 2 अगस्त को मनाया जाएगा। नाग पंचमी के दिन भगवान शिव के साथ नाग देवता की विधिवत पूजा की जाती है। भोलेनाथ को सांपों को देवता माना गया है। राजधानी मे इन दिनों सपेरे सापों का नाच दिखाने के लिए सडक़ किनारे हो या महोल्ले की गलियों में सापों का खेल दिखा रहें हैं। सावन की शुरूआत होते ही सपेरे बीन बजाकर सापों को नचाते हैं।
माना जाता है कि भगवान शिव सांपों की माला धारण करते हैं इसलिये इस माह में सांपों को देखना भी शुभ माना जाता है । सपेरे साप का खेल दिखाते हैं। लोग सापों को प्रणाम कर रूपए पैसे का भेंट चढ़ाकर अपनी मनोंकामना मांगते हैं। सावन माह में सपेरों को भी खूब काम मिल जाता है। शहर से लेकर गांव में सपेरे सांपों को लेकर घूमते हैं , जिन्हें देखने के लिये भारी भीड़ भी इक_ा होती है। इससे जहां सपेरों की आजीविका चलती है वहीं श्रद्धालुओं की मुराद भी पूरी होती है।
भगवान शिव के साथ सांप की पूजा कई जगहों पर सावन माह में भगवान शिव की अराधना के साथ साथ सांपों की भी पूजा की जाती है। इसी माह में नागपंचमी का त्यौहार भी पड़ता है, जिस दिन नागों की विशेष पूजा होती है। इसलिए जगह जगह पर मन्दिरों में सपेरों को तरह तरह के सांपों के साथ देखा जा सकता है। सपेरे इन सांपों का प्रदर्शन कर अपने परिवार का भरण पोषण करते है। आस्था व विश्वास के बीच मौत का खेल लोगों की अटूट आस्था और खुद के भरण - पोषण को ध्यान में रखते हुए सपेरे मौत से भी नहीं डरते है। खतरनाक जहरीले सांपों देखकर जहां लोगों की रूह कांप जाती है , वहीं सपेरे इन सांपों का बैखौफ होकर प्रर्दशन करते है। यदि किसी घर या ऐसे किसी सार्वजनिक स्थलों पर सांप निकलता तो सपेरों को ही बुलाया जाता है । वैसे तो सांपों को पालना अपराध है , लेकिन सपेरों की माने तो इन्हें मारने से अच्छा इन्हें पालना है।
प्रतिदिन खतरों से खेलते हंै सपेरे
परिवार का पेट पालने के लिए सांपों को साथ सपेरे खतरों से खेलते है। सडक़ किनारे आए दिन ऐसे सपेरे दिख जाते है , जो मामूली पैसों के लिए अपना जीवन दांव पर लगाते है। एक सपेरे ने छत्तीसगढ़ से बातचीत में बताया कि उसे सांप पकडऩे की कला उसके पूर्वजों से मिली है। सांपों का प्रर्दशन कर वह अपना और पूरे परिवार का पेट पालता है। उसने बताया कि सांपों की तलाश में वह जंगल , नालों के साथ साथ पहाड़ी इलाकों में घूमते है और जहरीले,खतरनाक सांपों को पकड़ते है । मौत के बाद भी नहीं लगता डर सपेरे ने काले , पीले व भूरे रंग के सांपों के साथ - साथ नाग व जहरीले बिच्छु भी दिखाए। सपेरे की माने तो लोग समझते है कि सपेरे सांपों के दांत तोड़ देते है , जिससे उन्हें खतरा नहीं होता है।
न पिलाएं दूध
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार , नाग पंचमी के दिन भगवान शिव के साथ नागदेवता की पूजा करने से संकटों से मुक्ति मिलती है। जीवन में सौभाग्य की प्राप्ति होती है। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि नाग पंचमी पर नागदेव की प्रमिता की पूजा मंदिर या घर में करनी चाहिए। इसके अलावा जीवित सांप को दूध न पिलाकर प्रतिमा पर ही दूध अर्पित करना शुभ माना गया है। इसके पीछे का कारण है कि सांप मांसाहारी होते हैं। ये जीव दूध नहीं पीता है।