बलौदा बाजार

औद्योगिक क्षेत्र होने के बाद भी राज्य सरकार ने की बलौदा बाजार की उपेक्षा
16-Nov-2022 3:50 PM
औद्योगिक क्षेत्र होने के बाद भी राज्य सरकार ने की बलौदा बाजार की उपेक्षा

केंद्र से मेडिकल कॉलेज खोले जाने मंगाए गए प्रस्ताव में बलौदाबाजार जिले का नाम नहीं

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 16 नवंबर।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा स्वास्थ्य के क्षेत्र में मानव संसाधन की उपलब्धता को बढ़ावा देने चौथे चरण की योजना शुरू करने के दौरान छत्तीसगढ़ में पांच नए मेडिकल कॉलेज खोले जाने हेतु राज्य सरकार से प्रस्ताव मांगा गया है, वहीं प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंंह देव के मुताबिक प्रदेश में मनेंद्रगढ़, जांजगीर-चांपा, कवर्धा, गीदम, (दंतेवाड़ा), धमतरी में मेडिकल कॉलेज खोलने का प्रस्ताव लंबित होने तथा आबादी के मापदंड के हिसाब से दो छोटे-छोटे जिला धमतरी, गरियाबंद या धमतरी, बालोद के लिए एक और जांजगीर-चांपा के लिए एक मेडिकल कॉलेज खोले जाने की आवश्यकता बताई है।

बलौदाबाजार जिले की लगातार उपेक्षा हो रही बलौदा बाजार जिले सीमेंट हब के रूप में विकसित होने तथा मेडिकल कॉलेज खोले जाने हेतु दस लाख से अधिक की आबादी सर्व सुविधा युक्त सभी स्तरों से अधिक का चिकित्सालय होने जैसे शर्ते को पूरा करने के बावजूद राज्य सरकार द्वारा यहां मेडिकल कॉलेज खोले जाने प्रस्ताव न भेज कर इस जिला की उपेक्षा की गई है जिससे क्षेत्र की जनता में राज्य सरकार के साथ-साथ जिले के जनप्रतिनिधियों के प्रति असंतोष है।

गौरतलब है कि एक दशक जिला बनने के पूर्ण हो जाने के बावजूद आज भी जिला स्तरीय कई सुविधाओं से यह जिला वंचित है। जिला में बीएड कॉलेज जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान केंद्रीय विद्यालय उद्यानिकी महाविद्यालय पर्यटन एवं पुरातत्व विभाग कार्यालय नहीं होने से जिले वासियों को अन्य जिलों पर आश्रित रहना पड़ रहा है।

जिले में राजनीतिक शून्यता का खामियाजा
जिले में राजनीतिक दलों का नेतृत्व करने वालों की निष्क्रियता के चलते बलौदा बाजार विकास की ओर में पिछड़ा हुआ है सूत्रों का कहना है कि आगामी विधानसभा चुनाव में इसका खामियाजा क्षेत्र का नेतृत्व करने वाले जनप्रतिनिधियों को भुगतना पड़ सकता है जिले के पिछड़ेपन के लिए सभी राजनीतिक दल दोषी हैं एक और यहां सत्तारुढ़ दल जिले के विकास के प्रति ध्यान नहीं देता है वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल भी जिले की उपेक्षा होने के बावजूद आवाज उठाकर धरना प्रदर्शन करने से परहेज करते रहे हैं।
 

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