सुकमा
सिलगेर, कोलईगुड़ा, कमारगुड़ा के ग्रामीणों के जीवन से अंधेरा हुआ दूर
सुकमा, 17 नवंबर। विद्युत, आज के आधुनिक जीवन में अपना अहम स्थान रखती है। जिसके बिना एक महल भी वीरान अंधेरा कमरा प्रतीत होता हैै। ऐसा ही अंधकारमय जीवन व्यतीत करने को विवश 615 परिवारों को शासन प्रशासन की मदद से नई रोशनी का सवेरा मिला है। अब यहां रात के अंधेेरे में सांप बिच्छू के काटने का डर तो दूर होगा ही साथ ही बच्चें अपना भविष्य भी गढ़ सकेंगे, जिसका उन्हें बरसों से इंतजार था।
कोलईगुड़ा, कमारगुड़ा, नागलगुण्डा, और करीगुण्डम एक समय नक्सल गतिविधियों के लिए कुख्यात गांव रहे। जहां प्रशासन की पहुंच मुश्किल थी, नतीजतन गांव विकास से कोसो दूर रहा। आज शासन के विकास, विश्वास और सुरक्षा के सूत्र को
सफल बनाते हुए पुलिस एवं सुरक्षा बलों ने नक्सल गुट को खदेड़ दिया है। गांव और गांव के समीप कैम्प की स्थापना से सीधे तौर पर गांव वालों को सुरक्षा के साथ ही विकास की राह मजबूत हुई है और आज गांव में बिजली भी पहुंच गई है।
सिलगेर भी हुआ विद्युत से रोशन कार्यपालन अभियंता, सीएसपीडीसीएल जूसेफ केरकेट्टा ने बताया कि कलेक्टर हरिस. एस के मार्गदर्शन में मुख्यमंत्री मजराटोला विद्युतीकरण योजना के तहत कोलईगुड़ा के 82 परिवारों के साथ ही करीगुण्डम के 160, कमारगुड़ा के 120, नागलगुण्डा के 81 तथा सिलगेर के 210 घरों में विद्युत लाईन कनेक्शन किया गया है जिससे ग्रामीणों में उत्साह है। इन क्षेत्रों में पूर्व में नक्सल अवरोध के कारण विद्युत व्यवस्था किया जाना संभव हो नहीं पा रहा था। लेकिन सुरक्षा कैम्प स्थापित होने के बाद पहले कैम्प और अब गांव तक बिजली पहुंचा दी गई है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और क्षेत्रीय विधायक तथा प्रदेश के उद्योग मंत्री कवासी लखमा के प्रयासों से सुकमा जिला विकास पथ पर अग्रसर है। सडक़विहीन क्षेत्रों को अब गुणवत्ता पूर्ण सडक़ों के निर्माण से उन्हें मुख्य मार्ग से जोड़ा जा रहा है। सडक़
बनने से जहां विकास की गति तेज हुई है तो वहीं सुरक्षा कैम्प की स्थापना से ग्रामीणों को सुरक्षा सुनिश्चित हुई है। सडक़ बनने से अब अधोसंरचना निर्माण के साथ ही मूलभूत सुविधाओं की पहुंच भी आसान हुई है।
अंधकारों में चिरागों का सहारा था
ग्रामीणों के लिए चिरागों की भी व्यवस्था करना भारी पड़ता था। आजादी के बाद से अब तक कनेक्शन नहीं पहुंच पाया था, गांवों में मिट्टी तेल की कमी और महंगाई की अलग समस्या जो ग्रामीण जिला मुख्यालय से दूर ग्राम में रहते हैं, वहां बच्चों को पढऩे की समस्या व रोज मर्रा के सामाग्रीयों की कमी सामान्य समस्या है, ऐसे कठिन समय बिजली पहुचना ग्रामीणों को काफी सहुलियत हुई है, ग्रामीण खुशी से भर गया है।