बालोद
सतनामी समाज के आयोजन में विधायकों की पाबंदी पर बोले विधायक
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बालोद,15 दिसंबर। पूरे प्रदेश में आरक्षण का मुद्दा भारी है, जिसमें नेता, मंत्री, विधायक ही नहीं समाज के लोग भी शामिल हो गए हैं। राज्यपाल के बयान ने भी बखेड़ा खड़ा कर दिया है ऐसे में साहू समाज ने एक तरफ जहां राज्यपाल को साहू समाज के आयोजनों में आने पर प्रतिबंध लगाया है, वहीं एक बड़ा मामला बालोद जिले से आया है, जहां पर पहले तो गुंडरदेही विधायक एवं संसदीय सचिव कुंवर सिंह निषाद को सतनामी समाज के कार्यक्रम में अतिथि बनाया गया फिर उनके अतिथि के पद को निरस्त कर दिया गया, जिसे लेकर विधायक ने भी बयान दिया है।
बहिष्कार पाबंदी में अंतर
विधायक कुंवर सिंह निषाद ने कार्यक्रम के अतिथि पद को निरस्त करने की विषय को लेकर बयान देते हुए कहा, अभी हमने आरक्षण के विधेयक को पारित किया, जिसमें सर्वसमाज, सर्वसमुदाय के हित को ध्यान में रखा गया जिस पर राज्यपाल ने अभी तक हस्ताक्षर नहीं किया है। हमने ओबीसी के लिए 27 फीसदी अनुसूचित जनजाति के लिए 32 फीसदी अनुसूचित जाति के लिए 13 फीसदी और ईडब्ल्यूएस के लिए 4 फीसदी आरक्षण विधेयक पारित किया है।
उन्होंने कहा, सतनामी समाज द्वारा 18 दिसंबर से लेकर गुरुपर्व के अवसर पर विभिन्न आयोजन किए जाते हैं, जिसमें नेता मंत्री विधायकों को बुलाया जाता है, परंतु इस बार उनकी कुछ सामाजिक पाबंदियां हैं। इसको लेकर उन्होंने विधायकों को नहीं बुलाने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि बहिष्कार और पाबंदी जैसे शब्द में अंतर समझना चाहिए यह एक सामाजिक व्यवस्था है।
क्या है मामला
दरअसल, सतनामी समाज ने निर्णय लिया है कि वह अपने गुरु पर्व के कार्यक्रमों में नेता मंत्री विधायकों को नहीं बुलाएंगे, लेकिन एक नगर पंचायत अर्जुंदा में 18 एवं 19 दिसंबर को गुरुपर्व पर एक आयोजन है जिसमें पहले तो विधायक को अतिथि बुलाया गया था फिर समाज ने एक पत्र जारी किया कि सामाजिक पाबंदी के लिए आरक्षण का जो विषय चल रहा है, उसके कारण आपका अतिथि पद निरस्त किया जाता है, जो कि पूरे जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है, और यह लेटर तेजी से वायरल हो रहा है विधायक भी स्वयं इस पत्र को लेकर घूम रहे हैं।