बालोद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बालोद,16 दिसंबर। बालोद शहर का रोशन नगर अपने नाम के ठीक विपरीत है। नगर का नाम रोशन है, परंतु यहां रहने वाले लोगों के जीवन में अंधेरी छाई हुई है। अंधियारी पिछड़े होने का अंधेरी मकान ना होने का अंध जारी उपेक्षित होने का रोशन नगर के निवासियों का कहना है कि वे शहर का एक हिस्सा तो है, परंतु आज जब उनके नाम से आवास की स्वीकृति हो रही है तो उनके पास जमीन के पट्टे नहीं हैं, कुछ दिनों पूर्व भी अपने जमीन के पट्टे को लेकर कलेक्ट्रेट कार्यालय भी पहुंचे हुए थे।
अधिकारी कहते हैं पथरीली जमीन
रोशन नगर के निवासी रोशनी साहू ने जानकारी देते हुए बताया कि हम यहां पर दशकों से निवासरत हैं। सरकार कहती है कि वह लोगों को पट्टा वितरित कर रही है। हम भी पट्टे की मांग कर रहे हैं। हम इतने उपेक्षित हैं कि हमारे मोहल्ले में नालियां भी नसीब नहीं है। पेयजल के लिए यहां-वहां भटकना पड़ता है। उन्होंने कहा कि जब हम पट्टे की मांग लेकर जाते हैं, और अधिकारी आते हैं तो उनका कहना है कि यह जमीन पथरीली है तो यह जमीन हां जमीन है इस तरह वह हमें घुमा-घुमा कर चले जाते हैं।
आवास योजना के लिए पट्टा अनिवार्य
रोशन नगर के निवासी चंपाबाई टामीन बाई ने कहा कि आवास योजना के लिए जब फार्म भरने जाते हैं तो उन्हें पट्टे की मांग की जाती है पट्टा ना होने के कारण उन्हें शासन की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री शहरी ग्रामीण आवास योजना से वंचित होना पड़ रहा है, वे लगातार कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं, वहीं उस नगर के कुछ लोगों ने बताया कि यहां पर नाली इत्यादि की भी काफी समस्या है। रोशन नगर निवासी महेश कुमार यादव ने बताया कि हम सब बाहर से यहां पर रोजी मजदूरी करने आए थे, परंतु हमारा पूरा जीवन इसी जगह पर गुजर रहा है। हमारे मकान जर्जर हैं जब शासन योजनाएं दे रही है तो हम इसका लाभ लेना चाहते हैं, वहीं एक महिला ने बताया कि जिनके घर आवास योजना मिले हैं उनके यहां 3 -3 ,4 - 4 मिले हैं परंतु हम जैसे गरीबों का कोई पूछने वाला नहीं है।