बालोद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बालोद, 12 फरवरी। बालोद जिले में दूल्हा और दुल्हन का स्वागत अनोखे ढंग से किया गया है। जिसने भी इस स्वागत कार्यक्रम को देखा उन्होंने उस लम्हे को अपने अपने कैमरे में कैद कर लिया।
दरअसल, जिले के ग्राम पाकुरभाट में किशन यादव ने अपनी पत्नी दुर्गा यादव को ब्याह कर अपने ग्रीनग्राम लाया तो उनके परिवार वालों ने प्राचीन परंपरा के साथ उनका स्वागत बैलगाड़ी से किया और चौक से पूरा गांव का भ्रमण कराते हुए उन्हें अपने घर ले गए।
21वीं सदी और आधुनिक जमाने में जहां पर वातानुकूलित बंद गाडिय़ों में दूल्हा दुल्हन को ले जाया जाता है, वहीं छत्तीसगढ़ की इस प्राचीन परंपरा की झलक जब लोगों को दिखे तो उनकी आंखें ठहर गई और हर कोई इसे अपने अपने मोबाइल के कैमरे में कैद करना चाहा। देखते ही देखते यहां पर सैकड़ों लोगों की भीड़ लग गई। परिवार वालों के साथ साथ अन्य राहगीर भी रुक कर इस अनोखे दूल्हा दुल्हन के स्वागत को देखने के लिए खड़े रहे।
ग्रामीणों ने बताया कि गांव के धनुष यादव के यहां उसके पुत्र किशन यादव की बारात गांव पाकुरभाट से बेल्हारी गई हुई थी, जहां पर किशन यादव ने वहां से दुर्गा यादव को ब्याह कर अपने गांव लाया। यहां उनके परिवार वालों ने प्राचीन परंपरा के अनुसार बैलगाड़ी से उनका स्वागत किया और उन्हीं में सवारी कर उन्हें गांव भ्रमण कराते हुए घर ले गए।
सजाई गई बैलगाड़ी
दूल्हा दुल्हन को घर तक ले जाने के लिए उनके परिवार वालों ने पूरी व्यवस्था की हुई थी यहां पर बैलगाड़ी और बैल को भी सजाया गया था सजाए हुए इस बैलगाड़ी में दूल्हा-दुल्हन को बैठाया गया और साथ में कुछ बच्चे भी उसमें बैठे जिसके बाद पूरा परिवार उन्हें बाजे गाजे के साथ स्वागत करके अपने घर ले गए।
दिखनी चाहिए झलक
दूल्हे के पिता धनुष यादव ने बताया कि प्राचीन परंपरा की झलक दिखनी चाहिए हमारे बाप दादा हम स्वयं बैलगाड़ी में बारात गए हुए थे और आज की युवा पीढ़ी इन सब बातों को भूल गई है। हमने छोटा सा प्रयास किया है और काफी अच्छा लगा कि लोगों ने इसकी तारीफ की और बच्चे पूछ रहे थे कि आखिर बैलगाड़ी में दूल्हा-दुल्हन को क्यों ले जाया जा रहा है?, तब हम ने बताया कि हम तो पूरा बारात बैलगाड़ी में गए थे उसी में खाने पीने का सामान रखकर आराम से बाराती निकलती थी।