बालोद

स्वयंभू गणेशजी: पंडाल से शुरू हुई थी आस्था, कई राज्यों से आते हैं भक्त
16-Feb-2023 2:54 PM
स्वयंभू गणेशजी: पंडाल से शुरू हुई थी आस्था, कई राज्यों से आते हैं भक्त

निसंतानता दूर करते हैं भगवान

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बालोद, 16 फरवरी।
बालोद शहर के मरार पारा में एक मंदिर है स्वयंभू गणेश मंदिर जिसकी ख्याति पूरे प्रदेश में फैली हुई है, यहां के गणेशजी को स्वयंभू इसलिए कहा जाता है क्योंकि भगवान गणेश स्वयं धरती फाडक़र प्रकट हुए थे। भगवान गणेश जी के इस मंदिर में भक्तों की गहरी आस्था है, लोग यहां अपनी समस्या और मन्नत लेकर आते हैं भगवान गणेश उनकी सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। विशेष रूप से निसंतान दंपत्तियों को भगवान गणेश संतान सुख प्रदान करते हैं। इस मंदिर में कोरोना काल के समय से जन सेवा का एक नया अध्याय जुड़ा यहां पर निशक्त जनों और जरूरतमंद लोगों को मुफ्त में भोजन दिया जाता है। इसकी और अन्य सामान्य राहगीरों इत्यादि लोगों को 30 रुपए में घर जैसा भोजन दिया जाता है।

100 वर्ष पुराना इतिहास
गणेश मंदिर समिति के संरक्षक राजेश मंत्री ने बताया कि हमारे इस मंदिर का इतिहास लगभग 100 साल पुराना है। जमीन के भीतर से भगवान गणेश जी प्रगट हुए जिसे सबसे पहले दिवंगत सुल्तानमल बाफना और भोमराज श्रीमाल की नजर पड़ी जिसके बाद आस्था के साथ साथ भक्तों का तांता लगना शुरू हुआ दीगर राज्यों से भी भक्त गणेशजी के दर्शन करने आते हैं।

मोरिया मंडल परिवार करता है देख-रेख
इस प्राचीन मंदिर के साथ मौर्या मंडल का नाम जुड़ा हुआ है। आज बालोद जिले में इस समिति को हर कोई जानता है। दरअसल वर्ष 2006 में महिला पुरुषों युवक-युवतियों के एक टोली बनी जिसे मोरिया मंडल नाम दिया गया। इसमें 70 से अधिक सदस्य हैं, जो इस मंदिर का देखरेख करते हैं और खासकर गणेश चतुर्थी के 11 दिन भक्तों का मेला मंदिर में देखने को मिलता है और मेले जैसा माहौल क्षेत्र में रहता है।

निरंतर बढ़ रही मूर्ति
मंदिर के भक्तों ने बताया गणेशजी के इस चमत्कारिक गणेश मंदिर का सफर एक पंडाल से शुरू हुआ पर आज निरंतर यह गणेश जी की मूर्ति बढ़ रही है और उसी के हिसाब से ही मंदिर के भवन का भी निर्माण किया गया है। इस मंदिर में साईं बाबा की मूर्ति है, बजरंगबली की भी मूर्ति हैं।

रोजाना 500 लोग करते हैं भोजन
स्थानीय भक्त एवं मोरया मंडल परिवार के सदस्य लकी चांडक ने बताया कि इस मंदिर में रोजाना 400 से 500 लोग भोजन करते हैं और भगवान की कृपा से दानदाताओं के सहयोग से यहां पर भोजन की व्यवस्था की जाती है।
पहले मंदिर समिति ने इसकी शुरुआत की थी। कोरोना वायरस के संक्रमण काल से ही यहां पर जरूरतमंद लोगों को भोजन दिया जाना शुरू किया गया, जो की आज पूरी सफलता से चल रहा है। इसे भक्त भगवान की कृपा कहते हैं और इसका नाम गणेश प्रसाद्म है।

सपने में आए थे बप्पा
आगे मंदिर समिति के सदस्यों ने बताया कि पहले बाफना परिवार के किसी सदस्य के सपने में बप्पा आए थे, जिसके बाद दोनों व्यक्तियों ने स्वयं-भू गणपति के चारों ओर टीन शेड लगाकर एक छोटा-सा मंदिर बनाया था। राजेश मंत्री ने बताया कि एक छप्पर से बप्पा के मंदिर की शुरुआत हुई थी और आज यह मंदिर की आस्था और चमत्कार सभी तरफ विख्यात है।

बुधवार को महा आरती
हमारी टीम बुधवार को बालोद शहर के मरार पारा स्थित गणेश मंदिर पहुंचा तो समिति के सदस्यों और भक्तों ने बताया कि यहां पर प्रत्येक बुधवार शाम ठीक 7 .30 बजे महाआरती का आयोजन होता है। ढोलक, मंजीरा के संगीत के साथ यहां पर सैंकड़ों भक्त शामिल होते हैं। मंदिर में महाआरती का दृश्य बेहद सुकून देने वाला रहा साथ ही विशेष प्रसाद भी दिया जाता है।

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