बीजापुर
पारंपरिक नृत्य सहित खेती, आखेट और खानपान का किया जीवंत प्रदर्शन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बीजापुर, 2 मई। यहां के कोतापाल में आदिम तेलंगा समाज द्वारा तीन दिवसीय महासम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें 22 गांव से करीब 10 हजार लोग व तेलंगा समाज के प्रतिनिधि शामिल हुए।
गौरतलब है कि बस्तर में निवासरत तेलंगा समाज पिछले कई दशकों से आदिवासी वर्ग में शामिल किए जाने की मांग कर रहा हैं। तीन दिवसीय महासम्मेलन में समाज द्वारा अपनी संस्कृति का प्रदर्शनी लगा कर अपने रहन सहन को प्रदर्शित किया गया। इस दौरान पारंपरिक नृत्य सहित खेती, आखेट और खान पान का जीवंत प्रदर्शन किया गया।
तेलंगा समाज के अध्यक्ष आदिनारायण पुजारी ने कहा की हमारी संस्कृति और रीति रिवाज जनजाति समुदाय के तरह है। हमें पिछड़े वर्ग में शामिल कर दिया गया है, जो की उचित नही है। इस लिए हम तेलंगा जाति पर अनुसंधान की मांग कर रहे हैं, ताकि हमारे लोगों को उचित आरक्षण का लाभ मिल सके।
महासम्मेलन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि विधायक विक्रम मंडावी ने कहा कि तेलंगा समाज यहां कई पीढिय़ों से निवासरत है। मैंने आज यहां लगे प्रदर्शनी में देखा है कि तेलंगा समाज आदिम समुदाय के रहन सहन, जड़ी बूटियों के ज्ञान सहित अन्य कार्य भिन्न नहीं है। प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल को जिले के प्रभारी मंत्री कवासी लखमा के साथ मिलकर तेलंगा समाज के वर्षों पुरानी मांग को पहुंचाई जाएगी और इस पर संवेदनशील मुख्यमंत्री भूपेश बघेल गंभीरता पूर्वक विचार करेंगे।
इस अवसर पर सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष अशोक तलांडी, जिला कांग्रेस अध्यक्ष लालू राठौर, महार समाज के रैमन दास झाड़ी सहित विभिन्न समाजों के प्रतिनिधियों ने तेलंगा समाज के लंबे संघर्ष को याद किया तथा जाति अनुसंधान पर सहमति जताई। इस दौरान जिले भर से 22 गांव से करीब 10 हजार तेलंगा समाज के महिला पुरुष और बच्चे शामिल हुए।