बीजापुर

कैम्पा मद का दुरुपयोग, चारागाह की राशि का घालमेल
08-Aug-2023 4:38 PM
कैम्पा मद का दुरुपयोग, चारागाह  की राशि का घालमेल

पामेड़ अभ्यारण्य का मामला, आरटीआई से खुलासा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बीजापुर, 8 अगस्त।
आरटीआई से हुए खुलासे के मुताबिक बीजापुर में राज्य कैम्पा मद की राशि में इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान के अफसरों ने जानवरों के चारागाह के लिए मिली राशि का घालमेल किया गया।  

विभाग द्वारा सूचना के अधिकार के तहत प्रदत्त जानकारी ने ही पूरे मामले की पोल खोल कर रखी दी है। जिम्मेदारों ने फर्जी मस्टररोल तैयार कर करीब 3 लाख 31 हजार 284 रूपए का आहरण विधिवत् कर लिया। जबकि मस्टररोल में जिन मजदूरों के नाम दर्ज है, तफतीश में सभी फर्जी पाए गए। 

मामले की तह तक जाने सबसे पहले विभाग में सूचना के अधिकार के तहत् आवेदन दाखिल किया गया था। जिसे संज्ञान में लेते विभाग की तरफ से कार्य से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध करवाए गए थे। जिसमें पामेड़ अभ्यारण्य अंतर्गत धरमाराम परिक्षेत्र के भट्टीगुड़ा के कक्ष क्रमांक 848, सहायक परिक्षेत्र कंवरगट्टा और कंचाल कक्ष क्रमांक865 में वर्ष 2020 में कार्य होना बताया गया। 

कैम्पा मद से होना था काम
इस हेतु 3 लाख 31 हजार 769 रूपए की राशि कैम्पा मद से वर्ष  2019 में स्वीकृत की गई थी। इसके तहत कई हेक्टेयर भूभाग पर बीज बोआई, पाटा चलाई, सीबीओ, क्षेत्र सफाई, लेन्टाना, यूपेटोरियम, वनतुलसा व अन्य बीड़ उन्मूलन, अखाद्यय घास , कड़ी मिट्टी में चेकडेम निर्माण आदि कार्य शामिल थे।

बाउचर से लेकर श्रमिकों की सूची में फर्जीवाड़ा
प्रतिदिन 295 रूपए प्रति मजदूर भुगतान की दर से काम कराया जाना था, लेकिन रेंज के ही जिम्मेदार अफसर-कर्मचारियों ने चारागाह विकास के तहत जितने कार्य होने थे, उन्हें कराए बिना फर्जी बाउचर और इंक्लोजर लेटर(मस्टररोल) तैयार कर राशि आहरित कर ली गई। कैम्पा मद से स्वीकृत इस काम को माह भर में पूर्ण कराना बताया गया है, जबकि स्थानीय ग्रामीण वर्ष 2020 में संबंधित कक्ष क्रमांक में कोई काम ना होने की बात कह रहे हैं। 

वहीं बाउचर में परिसर रक्षक, सहायक परिक्षेत्र अधिकारी, परिक्षेत्र अधिकारी धरमाराम और अधीक्षक पामेड़ अभ्यारण्य द्वारा हस्ताक्षर कर भौतिक सत्यापन दर्शाया गया है। लेकिन मिल रही शिकायतों की तस्दीक की गई तो ग्रामीणों के कथन और मौका स्थल के निरीक्षण में कोई काम न होने की बात सामने आई है।

कोंडापल्ली सरपंच मनीष यासम का आरोप हैं कि अधीक्षक, रेंजर और डिप्टी रेंजर ने मिलीभगत कर राशि आहरित कर ली और उन्हें भनक तक नहीं लगी। सूची में जिन मजदूरों के नाम दर्शाए गए हैं, उनका भी वास्ता इस काम से नहीं था। 

 

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