बेमेतरा

उपभोक्ता बाजार निर्माण के साढ़े 4 साल बाद जर्जर,
12-Sep-2023 2:40 PM
उपभोक्ता बाजार निर्माण के साढ़े 4 साल बाद जर्जर,

5 लाख में खरीदे सामान किसी काम नहीं आ रहे 

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 12 सितंबर।
  लाखों की लागत से बना उपभोक्ता बाजार लोकार्पण के साढ़े चार साल बीते जाने के बाद धूल खा रहा है। सब्जी व फल उत्पादक किसानों को बेहतर बाजार देने के लिए बनाया गया परिसर व कार्यालय अब जर्जर हो रहा है। प्रारंभ नहीं होने के कारण योजना दम तोडऩे की स्थिति में है। इस योजना से किसान व उपभोक्ता दोनों को लाभ मिल सकता है।

जानकारी हो कि 2019 में लोकार्पण किए जाने के 4 साल 6 माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी जिले का एकमात्र किसान उपभोक्ता बाजार जिम्मेदार विभाग की उदासीनता की वजह से प्रांरभ नहीं किया जा सका है। 57 लाख की लागत से कृषि उपज मंडी परिसर में बना किसान उपभोक्ता बाजार का लोकार्पण हुए कई महीनों का समय बीत चुका है। इस बाजार से किसान और उपभोक्ताओं को आमने-सामने कारोबार करने का अवसर दिया जाना था, जिससे उत्पादक और उपभोक्ता के बीच लाभ उठाने वाले दलाल की भूमिका को दरकिनार किया जा सके।

दोनों सीजन में जिले में होता है सब्जी व फल उत्पादन 

जिले में सब्जी व फ ल का रकबा 27755 हेक्टेयर है, जिसका सालाना उत्पादन 4 लाख 87 हजार मीट्रिक टन से अधिक है। जिले में वर्तमान खरीफ सीजन के दौरान 5 हजार से अधिक हेक्टेयर में सब्जी की पैदावारी की जा रही है। वहीं रबी फसल सीजन के दौरान जिले में लगभग 22 हजार हेक्टेयर से अधिक रकबा में पैदावारी होती है, जिसमें टमाटर, फुलगोभी, पत्तागोभी, भिंडी, आलू, बरबट्टी, मटर, करेला एवं फलों में केला का रकबा 980 हेक्टेयर का होता है। जिले में मसाला, फल, फूल व अन्य उद्यानिकी फसलों की भी खेती की जाती है।

किसान कमीशन देने के लिए मजबूर 

वर्तमान व्यवस्था में किसान दलालों के माध्यम से अपनी सब्जियों को बेच रहे हैं, जहां उन्हें दलालों को 10 प्रतिशत कमीशन देना होता है। नतीजतन किसानों को उनकी फ सल का सही दाम मिलने के बावजूद, कमाई का हिस्सा दलालों को देना होता है। किसान बाजार के खुलने से किसानों को इससे मुक्ति मिलने वाली थी।

किसान को कम लाभ और खरीददार को अधिक रकम देना पड़ रहे 

सालों बीत जाने के बाद इस बाजार को प्रारंभ करने के लिए अभी तक गंभीरता पूर्वक पहल नहीं की गई है। नतीजतन क्षेत्र के किसानों को उनकी सब्जियों का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है और उत्पदक किसान बिचैालियों व अडतिया के हाथों मुनाफा गंवा रहे हैं।

बैठने के लिए टीन शेड व चबूतरा बनाया 

भारी भकरम बजट से बाजार स्थल पर किसानों के बैठने के लिए चबूतरा, टीन शेड व अन्य सुविधाओं के साथ-साथ उसे रखने के लिए कार्यालय भी बनाया गया है। बाजार में फर्नीचर व किसानों के लिए काटा बाट, तराजू, नाप के लिए लीटर माप, प्रिंटर, उपस्कर, अलमारी व अन्य सुविधाओं पर 5 लाख खर्च किए गए थे

किसानों को आहुत कर बैठक ली पर परिणाम जीरो  

पूर्व में कृषि उपज मंडी परिसर में कृषि विभाग द्वारा बैठक ली गई, जिसमें जिला मुख्यालय के आसपास के दस किलोमीटर की परिधि के फल-सब्जी उत्पादकों एवं दुग्ध उत्पादक किसानों को बैठक में बाजार के लाभ से विस्तृत रूप से अवगत कराया गया। विभाग द्वारा भुरकी, मोहलाई, जेवरी, फरी, तेलईकुड़ा, सिरवाबांधा, बहुनवांगांव, समेत कई गांव के 44 किसान पहुंचे थे। इसके बाद न बाजार प्रारंभ किया ना ही किसानों की दोबारा बैठक बुलाई गई। उपभोक्ता बाजार के लिए 80 किसानों का पंजीयन उद्यानिकी व कृषि विभागद्वारा किया गया है। पंजीकृत किसानों को केवल अपने उत्पादन लेकर उपभोक्ता बाजार में बैठना है।

2017 से लेकर सितंबर 2023 का सफर पर शून्य परिणाम 

योजना के तहत बाजार का निर्माण जुलाई 2017 में किया गया था। 6 माह देर यानी की 2018 के अगस्त माह में बना था, जिसके बाद मार्च 18 में बकायदा कृषि मेला के दौरान लोकार्पण किया गया था, जिसके बाद से इस बाजार का कामकाज प्रारंभ होना था पर साढ़े चार साल बाद भी आज तक तालाबंदी की स्थिति कायम है।

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