बेमेतरा

1164 में 92 स्कूलों में ही गैस से पक रहा मध्याह्न भोजन, बाकी में जल रहा चूल्हा
26-Apr-2024 2:53 PM
1164 में 92 स्कूलों में ही गैस से पक रहा मध्याह्न भोजन, बाकी में जल रहा चूल्हा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 26 अप्रैल।
जिले के सरकारी स्कूलों में प्रदूषण कम करने और पर्यावरण बचाने के लिए मध्याह्न भोजन बनाने के लिए एलपीजी गैस सिलेन्डर और चूल्हा उपलब्ध कराया गया है। इसके बाद भी भोजन बनाने के लिए गैस का कम उपयोग किया जा रहा है। जिले में प्राथमिक व मिडिल स्कूल मिला कर 1164 स्कूलों में से केवल 92 स्कूलों में मध्याह्न भोजन बनाने एलपीजी का उपयोग किया जा रहा है।

समितियों को एलपीजी सिलेंडर व चूल्हे उपलब्ध कराए गए, प्रशिक्षण भी दिया 
जानकारी हो कि 6 से 14 साल के बच्चों को शिक्षा के साथ कुपोषण को दूर करने व स्कूल से जोडऩे के लिए 2007 से मध्याह्न भोजन योजना के तहत भोजन प्रदान किया जा रहा है। योजना को प्रारंभ करने के 14 साल बाद भी जिले के 90 फीसदी से अधिक स्कूलों में लकड़ी व कंडा जलाकर भोजन तैयार किया जा रहा है। स्कूलों को धुआं मुक्त रखने 10 साल पहले ही एलपीजी सेट उपलब्ध कराया गया था। सेट उपलब्ध कराने के बाद यह उम्मीद की जा रही थी कि भोजन को एलपीजी से पकाया जाएगा पर आज उम्मीद कोरा साबित हो रहा है। 

आलम ये है कि जिले के 1164 स्कूलों में 927 स्कूलों में मध्याह्न भोजन का ब्योैरा पोर्टल में उपलब्ध कराया गया है, जिसमें 628 प्राथमिक व 299 मिडिल स्कूल शामिल हैं। केवल 92 स्कूलों में एलपीजी से खाना पकाया जाता है। इसमें 64 प्राथमिक व 28 मीडिल स्कूल शामिल हैं। जिले में एलपीजी का उपयोग करने वाले स्कूलों की संख्या 10 फीसदी से भी कम है।

1145 समूहों के पास है खाना पकाने की जिम्मेदारी
जिले के 1164 स्कूलों में मध्याह्न भोजन पकाने के लिए 1145 समूह से अधिक समूहों के पास जिम्मेदारी है। जिले में 2605 रसोइया स्कूलों में खाना पकाते हैं, जिसमें से प्राथमिक स्कूलों में 770 रसोईया व 411 रसोईया पूर्व माध्यमिक स्कूलों को मिलाकर 1181 रसोइयों को खाना पकाने के लिए एलपीजी गैस का उपयोग करने के तरीकों की जानकारी देते हुए प्रशिक्षित किया गया है। प्रशिक्षण पाने के बाद 800 से अधिक रसोईया लकड़ी का उपयोग कर रहे हैं।

खाना बनाने के राशि जारी की जाती है 
खाना पकाने के लिए जिम्मेदार समूह को खाना पकाने लिए उपयोग किए गए ईंधन पर होने वाले खर्च के लिए कुकिंग कास्ट की राशि दी जाती है। प्राथमिक स्कूल के बच्चों के लिए 5 रुपए 69 पैसा व मीडिल स्कूल के बच्चों के लिए 8 रुपए 17 पैसा प्रत्येक छात्र के अनुसार समूह के खातों में प्रत्येक 15 तारीख को जारी की जाती है। बीते 12 अप्रैल को लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा मटेरियल कास्ट के लिए पूरे प्रदेश के सभी स्कूलों के लिए 88 करोड़ 99 लाख 4 हजार रुपए जारी किए गए थे, जिसमें नवागढ़ ब्लॉक को 88 लाख 84 हजार, बेमेतरा ब्लॉक को 94 लाख 16 हजार, बेरला ब्लॉक को 76 लाख 74 हजार और साजा ब्लॉक को 70 लाख 58 हजार रुपए जारी किए गए।

बेरला में एक भी स्कूल में नहीं बनता एलपीजी गैस से खाना  
एलपीजी गैस से खाना बनाने के मामले में बेरला ब्लॉक की स्थिति सबसे खराब है। एमडीएम योजना को प्रारंभ हुए 17 साल हो चुके हैं। इसके बाद भी बेरला ब्लॉक के 149 प्राथमिक व 83 पूर्व माध्यमिक स्कूलों में से किसी भी स्कूल में एलपीजी गैस व चूल्हे से भोजन पकाना प्रारंभ नहीं किया गया है। बेमेतरा ब्लॉक में 21 प्राथमिक, 7 पूर्व माध्यमिक, साजा में 35 प्राथमिक व 16 पूर्व माध्यमिक स्कूल व नवागढ़ ब्लॉक में 8 प्राथमिक व 5 पूर्व माध्यमिक स्कूलों में मिड डे मील पकाने में एलपीजी का उपयोंग किया जा रहा है।

राज्य व जिला स्तर पर है मॉनिटरिंग समिति  
एमडीएम योजना की निगरानी के लिए राज्य स्तर पर राज्य स्तरीय संचालन मॉनिटरिंग समिति का गठन किया गया है। इसके साथ ही जिला स्तर पर निगरानी समिति बनाई गई है। समितियों को समय-समय पर योजना की निगरानी करनी है। समिति में कलेक्टर, एसडीएम, जिला पंचायत सीईओ व जिला स्तर के अधिकारी शामिल हैं। इसके आलावा संकुल स्तर पर समन्यवकों को भी निगरानी करनी है। जिला स्तर से लेकर संकुल स्तर पर निगरानी के लिए जिम्मेदारी तय होने के बाद भी लकड़ी जलाकर खाना पकाने पर अंकुश लगाने का प्रयास नहीं किया जाना सवालों के दायरे है।

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