बलौदा बाजार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भाटापारा, 4 अक्टूबर। दाऊ कल्याण सिंह कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र के बीएससी कृषि (ऑनर्स) चतुर्थ वर्ष के विद्यार्थियों को खाद्य प्रसंस्करण एवं भंडारण के अंतर्गत 25 सितंबर से 1 अक्टूबर तक डॉ. मनीषा साहू के निर्देशन में खाद्य प्रसंस्करण यूनिट कामधेनु पल्सेस दाल और पोहा मिल का भ्रमण कराया गया, जिसमें विद्यार्थियों को विभिन्न प्रकार के मशीनों के बारे में जानकारी प्रदान की गई।
कामधेनु पल्सेस के प्रबंधक सुनील वर्मा द्वारा विभिन्न प्रकार के दालों (चना, मटर, तिवड़ा, मसूर, मूंग, उड़द) की प्रोसेसिंग विधि के बारे में संक्षिप्त में जानकारी दी गई। बताया कि कामधेनु पल्सेस की शुरुआत 2017- 18 में हुई थीं, जहां दाल के प्रसंस्करण के लिए कच्चा माल कवर्धा और महाराष्ट्र से आयात किया जाता है। महाराष्ट्र से आने वाली कुछ किस्में जेजे चना, वैभव आदि है। वहां प्रतिदिन 24 टन दालों की प्रसंस्करण होती है। दाल के प्रसंस्करण के लिए वहां 14 बड़े-बड़े टैंक है, प्रत्येक टैंक की क्षमता 15 टन है, जिसमें से तीन रिजेक्शन टैंक है, जिसमें अवांछनीय दालों को अलग किया जाता है।
अवांछनीय दालों को अलग करने के लिए शॉर्टेक्स मशीन का उपयोग किया जाता है जिसकी लागत 1 करोड़ है। दाल के प्रसंस्करण के दौरान निकलने वाले भूसे को 1700 रुपए प्रति क्विंटल की दर से बेचा जाता हैं, जिससे अतिरिक्त लाभ प्राप्त होता हैं। इसके पश्चात प्रोसेसिंग यूनिट बीपी ट्रेडर्स पोहा मील का भ्रमण कराया गया। वहां के प्रबंधक लक्की बनवानी द्वारा विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया गया। उन्होंने विद्यार्थियों को जानकारी दी कि उनका पोहा मिल 2 करोड़ की लागत से स्थापित किया गया हैं। पोहा बनाने के लिए धान की नागपोहा किस्म (जो कि महामाया की उन्नत किस्म हैं) उपयोग किया जाता है। इस पोहा मील में प्रतिदिन 8 टन पोहा का उत्पादन किया जाता हैं।
उत्पाद के लिए मुख्य निर्यात मार्केट महाराष्ट्र और कर्नाटक हैं। प्रबंधक द्वारा बताया गया कि प्रसंस्करण के दौरान मोटे पोहे को फ्लैकर से प्रेस करके पतला पोहा बनाया जाता हैं। उन्होंने बताया कि 100 किलो चावल से 60 किलो पोहा बनाया जाता हैं। उपयुक्त गतिविधियों के अतिरिक्त ग्राम गुर्रा में पारंपरिक एवं उन्नत कृषि उपकरणों का अध्ययन एवं सर्वेक्षण किया गया।
जिसके अंतर्गत ग्राम गुर्रा के कुछ किसानों के पास उपलब्ध उन्नत तकनीकों जैसे ट्रैक्टर, कल्टीवेटर, कंबाइन हार्वेस्टर, चैन हार्वेस्टर, आदि से विद्यार्थियों को अवगत करवाया गया साथ ही ग्राम गुर्रा में किसानों द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली सिंचाई सुविधा का विद्यार्थियों द्वारा सर्वे किया गया।