सुकमा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सुकमा, 8 जनवरी। आज के समय में अंग्रेजी की जरूरत हर किसी के लिए बेहद जरूरी है। शहरी क्षेत्रों में सही संसाधन के चलते शहरी बच्चे इंग्लिश में काफी आगे रहते है। मगर सुकमा जिले के अंदुरुनी क्षेत्रों के बच्चे इससे वंचित रह जाते है। जिसे देखते हुए दशकों से सुकमा के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अपनी सेवा दे रही केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की 74वीं वाहिनी के कमांडेंट हिमांशु पांडे के निर्देशन में पहली बार अति नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के 40 आदिवासी बेटियों के लिए स्पोकन इंग्लिश की क्लासेस चलाने जा रही है। जिसमें इंग्लिश में एक्सपर्ट शिक्षकों द्वारा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के 40 चयनित बेटियों को स्पोकन इंग्लिश के माध्यम से उन्हें इंग्लिश जैसी जरूरी विषय पर पढ़ाई कराई जाएगी।
वाहिनी के कमांडेंट हिमांशु पांडे ने बताया कि आज के जमाने में इंग्लिश बेहद जरूरी है। नक्सलवाद के दंश के कारण शिक्षा का स्तर उस मुकाम तक अभी पहुच नहीं पाया है, जिसके कारण अंदुरुनी क्षेत्रों के बच्चों को इंग्लिश जैसे विषय पर पकड़ मजबूत नहीं हो पाई है। सभी को पता है कि आजकल जीवन में इंग्लिश की जरूरत बहुत जरूरी है। इसलिए सीआरपीएफ 74वीं वाहिनी के द्वारा सिविक एक्शन प्रोग्राम के माध्यम से स्पोकन इंग्लिश और बच्चे अपने पढ़ाई जीवन को बेहतर दिशा दे सके इसके लिए 45 दिनों का स्पेशल फोर्स करवाया जाएगा और बच्चों को इससे फायदा पहुंचे और बच्चे इंग्लिश सिख सके ऐसा एक प्रयास किया जा रहा है।
पहली बार हो रहा स्पोकन इंग्लिश व कैरियर कॉउंसलिंग का कोर्स
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के बच्चों के लिए पहली बार स्पोकन इंग्लिश और कैरियर कॉउंसलिंग जैसे कोर्स का आयोजन किया जा रहा है। आमतौर पर देखा जाता है कि सुकमा जिले को पिछड़ा जिले के रूप में देखा जाता है। इंग्लिश सीखने की सुविधा ना होने की वजह से और अच्छे शिक्षकों के अभाव में बच्चे इंग्लिश में कमजोर हो जाते है। मगर सीआरपीएफ 74वीं वाहिनी के इस मुहिम से कहीं ना कहीं बच्चों को इसका बहुत फायदा मिलेगा अब बच्चे इंग्लिश से डरेंगे नही बल्कि सिख कर बात करने की कोशिश करेंगे।
दोरनापाल स्थित सीआरपीएफ 74वीं वाहिनी मुख्यालय में रविवार को स्पोकन इंग्लिश व कैरियर कॉउंसलिंग कोर्स का शुभारंभ बटालियन के कमांडेंट हिमांशु पांडे डिप्टी कमांडेंट राजकुमार राज वेटनरी डॉक्टर नम्रता सूबेदार मेजर श्यामचंद मिताई , राजेश जांगिड़ के मौजूदगी में किया गया। जिसमें चयनित 40 छात्राओं को एजुकेशन किट वितरण कर किया गया, साथ ही सभी बच्चों को फलाहार करवाया गया।
जिसके बाद तय कार्यक्रम के अनुसार 45 दिनों तक कोर्स चलाया जाएगा।