बस्तर
बस्तर में हो रहे मतांतरण रोकने किया जा रहा है प्रयास
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 18 जनवरी। एक ओर जहां अयोध्या में बन रहे श्रीराम मंदिर में 22 जनवरी को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा करने के साथ ही पूरे भारत में दिवाली मनाने की बात कही जा रही है, वहीं इस अहम दिन के साक्षी बनने के लिए करोड़ों श्रद्धालु अयोध्या भी जा रहे हंै, इसी श्रीराम मंदिर व श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए बस्तर के पूर्व विधायक राजाराम तोड़ेम ने नेशनल हाईवे स्थित घाटलोहगा में अपनी डेढ़ एकड़ जमीन को श्रीराम मंदिर बनाने का काम शुरू किया जा रहा है, जहां अयोध्या के तर्ज पर यहां भी राम मंदिर का निर्माण किया जाएगा।
मंदिर में श्रीराम से जुड़े कहानी को चित्रों में जाएगा उकेरा
आदिवासी समाज के सदस्य और पूर्व विधायक राजा राम तोड़ेम उनका कहना है कि बस्तर में लगातार हो रहे मतांतरण व सनातन धर्म को छोडक़र जा रहे लोगों को रोकने के साथ ही आदिवासियों को आस्था से जोड़े रखना है।
देखा जाए तो श्रीराम का बस्तर से एक खास रिश्ता भी रहा है, श्रीराम अपने वनवास काल के दौरान ज्यादातर समय बस्तर जिसे पहले के समय में दंडकारण्य के नाम से जाना जाता था, यहां के जंगलों में बिताए हंै, जिसे देखते हुए बस्तर की जीवनदायिनी कही जाने वाली इंद्रावती नदी के किनारे बसे घाटलोहंगा गांव में इस मंदिर का निर्माण किया जाएगा। इस दौरान मंदिर में भगवान राम के वनवास काल के दौरान बस्तर से जुड़ी कहानियों को चित्रों और मूर्तियों के रूप में उकेरा भी जाएगा।
21 वर्ष पहले खरीदी थी जमीन
पूर्व आदिवासी नेता, पूर्व विधायक राजाराम तोड़ेम ने बताया कि इस जमीन को 2003 में खरीदा गया था, यह जमीन रायपुर-जगदलपुर नेशनल हाईवे पर इंद्रावती नदी के किनारे घाटलोहंगा गांव बसा हुआ है। साथ ही यह संभागीय मुख्यालय जगदलपुर से 10 किमी है, आदिवासी समाज के सदस्य राजा राम तोड़ेम ने साल करीब 1 एकड़ 38 डिसमिल जमीन खरीदा था। इस जमीन को लेने के साथ ही मन में पूरी तरह से यह विचार कर लिया था कि यहां भगवान श्रीराम का मंदिर बनाया जाएगा,लेकिन पैसों की कमी की वजह से यहां पर मंदिर का काम शुरू नहीं हो पाया था।
समय-समय में टलता रही तिथि
जमीन को लेने के साथ ही यहां पर श्रीराम मंदिर को बनाने के लिए प्रयास जारी रहा, जिसमें इस जमीन के छोटे भाग में वर्ष 2007 में हनुमान मंदिर बनाया गया, उस दौरान भी उस क्षेत्र में हनुमान भगवान का यह पहला मंदिर था, जिसके बाद आसपास के लोगों की आस्था जुड़ गई, उस समय भी मन में विचार आया कि भगवान श्रीराम का मंदिर बनाया जाए, लेकिन फिर किन्हीं कारणों के चलते मंदिर का काम शुरू नहीं हो पाया था, वर्ष 2023 के शारदीय नवरात्र में श्रीराम मंदिर बनाने की नींव रखी गई, उस दौरान यह था कि किसी भी तरह से कोई अड़चन नहीं आने पर साल 2024 के चैत्र नवरात्र से काम भी शुरू किया जा सकता है।
हनुमान मंदिर का जीर्णोद्धार
राजाराम तोड़ेम ने कहा कि सबसे पहले यहां पर बने हनुमान भगवान के मंदिर का जीर्णोद्धार किया जाएगा, उसके बाद अयोध्या में बने भगवान श्रीराम के मंदिर का हूबहू बने मंदिर को बनाने की योजना बनाई गई है, आर्केटेक से डिजाइन बनवाई जा रही है, इस मंदिर का आकार अयोध्या से छोटा रहेगा, जब भगवान श्रीराम अपने वनवास काल के दौरान दंडकारण्य आए थे तो उस समय वे जिन-जिन जगहों पर गए थे, उनसे जुड़ी किवदंतियां-कहानियों को मूर्तियों और चित्रों के माध्यम से उकेरा जाएगा। ताकि नई पीढ़ी को भी जानकारी मिल सके।