बिलासपुर

एसईसीआर की सभी 900 बोगियों में आधुनिक बायो-टॉयलेट
30-Jan-2024 1:54 PM
एसईसीआर की सभी 900 बोगियों में आधुनिक बायो-टॉयलेट

ट्रैक पर गंदगी 90 फीसदी घटी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 30 जनवरी।
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के सभी लगभग 900 पारंपरिक शौचालययुक्त यात्री कोचों में बायोटॉयलेट लगा दिए गए हैं। स्टेशन परिसर, प्लेटफार्म, गाडी तथा रेलवे ट्रैक को गंदगी से मुक्त रखने व वातावरण को साफ-सुथरा रखने एवं हरित विकास को बढ़ावा देने के लिए रेलवे ने यह पहल की है। भारतीय रेलवे एवं रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा संयुक्त रूप से विकसित बायो-टॉयलेट पर्यावरण के अनुकूल है। इसमें मानव अपशिष्ट 6 से 8 घंटे में हानिरहित पानी और गैस में तब्दील होकर वातावरण में मिल जाता है। इसमें सीधे टैंक से किसी भी प्रकार के अपशिष्ट का डिस्चार्ज नहीं होता। इससे स्टेशन एवं पटरी के आसपास स्वच्छता बनाये रखने में आसानी होती है। बायो टॉयलेट लगाने के बाद ट्रैक पर होने वाली गंदगी में तकरीबन 80 से 90 फीसदी की कमी आई है।

ज्ञात हो कि बायो टॉयलेट रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन तथा भारतीय रेलवे ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। बायो टॉयलेट्स में शौचालय के नीचे बायो डाइजेस्टर कंटेनर में एनेरोबिक बैक्टीरिया होते हैं जो मानव मल को पानी और गैसों में बदल देते हैं।

बायो टॉयलेट से रेल पटरियों पर गंदगी और पटरियों की धातु को नुकसान से बचत होती है साथ ही पटरियों की साफ-सफाई आसान हुई है। इसके अलावा वैक्यूम आधारित बायो टॉयलेट में फ्लश से पानी की जरूरत कम होती है। स्टेशनों पर बदबू रहित स्वच्छ वातावरण सहित कई बीमारियों की रोकथाम में मदद मिलती है। बायो टॉयलेट लगने के बाद स्टेशनों पर मच्छर, कॉकरोच और चूहों की संख्या में कमी आने का दावा किया गया है। रेलवे ने यात्रियों से अपील की है कि बायो-टैंक के सुचारू रूप से कार्य करते रहने के लिए इस प्रकार के टॉयलेट में चाय के कप, पानी के बोतल, गुटखा पाउच, पॉलीथिन, डायपर इत्यादि न डाले। इनसे बॉयो-टॉयलेट जाम हो जाते हैं। इससे ओवर फ्लो होकर गंदगी बाहर आ जाती है एवं यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है ।

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