बलौदा बाजार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भाटापारा, 5 मार्च। भाटापारा-काफी संख्या में अंबेडकर अनुयायियों ने नगर पहुंचे भारत रत्न संविधान निर्माता बोधिसत्व डॉ.भीमराव अंबेडकर अस्थि यात्रा का भाटापारा नगर में स्वागत किया तत्पश्चात अस्थि यात्रा का भ्रमण पूरे शहर में किया गया।
यात्रा के दौरान नगर में जगह-जगह अंबेडकर अनुयायियों ने अस्थि यात्रा का अभिवादन किया। भाटापारा नगर के भामाशाह चौक से आरंभ हुए डॉ. भीमराव अंबेडकर की अस्थि कलश यात्रा का मोटरसाइकिल रैली की अगुवाई में पुष्प वर्षा के साथ अभिवादन किया गया। जिसके बाद अस्थि कलश यात्रा को भामाशाह चौक होते हुए कांग्रेस भवन, जय स्तंभ चौक, सदर बाजार, बस स्टैंड होते हुए आंबेडकर प्रतिमा स्थल तक शांति रैली के रूप में पहुंची। बाबासाहेब अस्थि कलश यात्रा में सभी समाज के गणमान्य आंबेडकर अनुयायी शामिल हुए एवं सभी चौक चौराहा पर अभिनंदन किया गया। बाबा साहेब आंबेडकर प्रतिमा स्थल गुरुनानक वार्ड में समापन कर तत्पश्चात जन समुदाय के अभिवादन के लिए बाबा की अस्थि को विशेष स्थान में रखा गया। हजारों की संख्या में लोगों ने बाबासाहेब अंबेडकर की अस्थि के दर्शन किए और उनका अभिवादन किया।
अभिवादन के दौरान अधिकतर लोग भावुक हो गये। उनकी आंखों से आंसू बहनें लगें। वैचारिक मंचीय कार्यक्रम आयोजन किया गया। जहां अंबेडकर युवा मंच, बौद्ध समाज, समता सैनिक दल भाटापारा एवं अंबेडकर अनुयायियों द्वारा बाबा साहब अंबेडकर की अस्थि कलश पर पुष्पांजलि अर्पित कर बाबा साहब अंबेडकर से विचारों का संकल्प लिया।
अंबेडकर के विचारों से मिलता है न्याय का रास्ता
अस्थि कलश यात्रा में आए धम्मचारी बौद्धाचार्य अमृत सिध्दि ने कहा कि बौद्ध धम्म में बाबा साहेब की अस्थि को विशेष महत्व दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि आज भी आप संकल्प लेते हैं तो समाज को जगाएंगे तभी बाबासाहेब अमर होंगे। आओ हम सब मिलकर बाबासाहेब के अस्थि अभिवादन कर उनके बताये मार्ग को अपनाकर उसे अपने आचरण में उतारने का संकल्प ले।
वहीं टेकराम मिरी ने सुंदर गीत के माध्यम से बाबा साहेब और संविधान का वर्णन किया। बाबा साहेब की अस्थियों के अभिवादन करने हेतु भाटापारा सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्र से भी भारी संख्या में जन समुदाय पहुंचे थे। इस अस्थि यात्रा के दौरान खास बात यह रही की बाबासाहेब का जय घोष के नारे लगा रहे थे। पूरा वातावरण बाबा साहेब पूर्ण हो गया। इस मौके पर अंबेडकर अनुयायी समाज के लोग बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
बाबा साहेब के प्रति और अधिक जागृति लाने के उद्देश्य से त्रिरत्न बौद्ध महासंघ छत्तीसगढ़ के प्रयासों से अस्थि का आगमन छत्तीसगढ़ के 17 जिलों में कराया जा रहा है। जिसे पुणे के दापोडी में स्थित महाविहार से लाया गया है। लोगों ने कहा कि हमारे लिए बाबासाहेब ने अपने चारों बच्चों को कुर्बान कर दिया,अपनी स्वास्थ्य को ना देखते हुए भी दुनिया कि सबसे अच्छा संविधान लिखा। इस अवसर पर 1936 में मुक्त कौन पथे इस पुस्तक में जो बातें बाबासाहेब रखते हैं उसमें जितने भी संत हैं उनके बारे में बाते हैं , संत रामदास का उदाहरण देते हुए कहा कि मनुष्य के मन में अगर उत्साह नहीं है तो उत्साहित होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि बाबासाहेब कहते हैं धम्म मनुष्य में जरूरी है अगर धम्म नहीं है तो वह बैल गाड़ी जैसे चलता है। धम्म याने नित, नित याने धम्म, बुद्ध और धम्म में बाबासाहेब लिखते हैं मैं हिंसा नहीं करूंगा।