धमतरी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
धमतरी, 8 मार्च। कांग्रेस की ओर से गुरुवार को एसबीआई कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन किया गया। चुनावी इलेक्टॉरल बांड के जरिए राजनीतिक दलों को मिलने वाले चुनावी चंदे की जानकारी सार्वजनिक करने को लेकर एसबीआई की ओर से सुप्रीम कोर्ट से जून तक का समय मांगा गया है।
कांग्रेस इसी का विरोध कर रही है। जहाँ रत्नाबाँधा रोड स्थित भारतीय स्टेट बैंक मुख्य ब्रांच के सामने बड़ी संख्या में एकत्रित होकर कांग्रेसियों ने एसबीआई के ऊपर मोदी सरकार के दबाव में काम करने का आरोप लगाते हुए जमकर नारे बाजी की। जिला कांग्रेस अध्यक्ष शरद लोहाना ने बताया कि मोदी सरकार के इशारे पर एसबीआई के अधिकारी जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट से जून तक का समय मांग रहे हैं ताकि लोकसभा चुनाव संपन्न हो जाएं। आगे कहा कि 2017 में चुनावी बांड के जरिए राजनीतिक दलों को चंदा लाने की योजना काले धन को सफेद करने और बीजेपी को मदद पहुंचाने की योजना थी। विधायक ओमकार साहू ने बताया कि जब सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को 6 मार्च 2024 तक चुनावी बांड की जानकारी चुनाव आयोग को सौंपने और फिर उससे जुड़ी सारी जानकारी सार्वजनिक करने का आदेश दिया तो एसबीआई जून तक का समय मांगने सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया।
उन्होंने कहा कि आज की तकनीक और कंप्यूटर को यह पता लगाने में केवल दो मिनट लगते हैं कि इस अवधि के दौरान चुनावी बांड किसने खरीदा और किस पार्टी को दान दिया गया। चुनाव से पहले बीजेपी और पीएम मोदी के अपने उद्योगपति मित्रों के साथ नापाक रिश्ते उजागर न हो जाएं। इसलिए केंद्र सरकार भारतीय स्टेट बैंक को मोहरा बनाकर काले धन के स्रोत की जानकारी देने से बचना चाहती है। इसलिए एसबीआई को मोहरा बनाया गया है।
महापौर विजय देवांगन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से 30 जून तक का समय लेने का अनुरोध करने के पीछे मंशा यह है कि लोकसभा चुनाव तक जनता को पता न चले कि बीजेपी ने किन-किन कंपनियों से चंदा लिया है। क्या वे असली कंपनियां थी या शेल कंपनियां ? उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे पर चुप नहीं बैठेगी और हर व्यक्ति तक यह संदेश पहुंचाएगी कि चुनावी बांड के नाम पर न केवल लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाया गया है, बल्कि भाजपा ने एक बड़ा आर्थिक अपराध भी किया है।