बलौदा बाजार
खुले में खराब होने के साथ चूहे और दीमक चट कर रहे
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 15 मार्च। समितियों से मिलर धान नहीं उठा रहे हैं, इसके कारण जहां एक तरफ समिति प्रबंधक धान में नमी कम होने पर सूखा के लिए परेशान हैं, वहीं बदलते मौसम की वजह से भी बड़ी मात्रा में धान खराब हो रहा है। समिति में रखे धान को चूहे और दीमक अलग चट कर रहे हैं।
बताया जा रहा है कि डीओ नहीं कटने के चलते धान मिलिंग के लिए नहीं जा पा रहा है। समितियों से मिलर धान नहीं उठा रहे हैं।
धान पर मौसम और बारिश की मार
दरअसल, इस साल के लिए 1 नवंबर से धान खरीदी शुरू हुई थी। प्रदेश में सरकार बदलने और ज़्यादा धान खरीदने की ऐलान होने की वजह से धान खरीदी की तारीख में बदलाव किया गया था, साथ ही खरीदी के दौरान मौसम खराब होने और बारिश की वजह से धान खरीदी की अंतिम तारीख को बदलते हुए 4 फरवरी कर दी गई थी।
ज्ञात हो कि बलौदाबाजार जिले में 1 लाख 60 हजार 817 किसान पंजीकृत हैं, जिनमें से 1 लाख 56 हजार 713 किसानों ने 8 लाख 72 हजार 163 मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई है, उसके एवज में सभी किसानों को कुल 19 सौ करोड़ 40 लाख 4 हजार 32 रूपये राशि का भुगतान किया जा चुका है, इसके साथ ही जिले में 166 धान उपार्जन केंद्रों में 1 लाख 56 हजार 713 किसानों ने 8 लाख 72 हजार 163 मीट्रिक टन धान बेचा है, जो कि कुल रकबा का 97.45 प्रतिशत है, जिसमें मोटा धान 2 लाख 15 हजार 714 मीट्रिक टन, पतला धान 5 हजार 542 मीट्रिक टन और सरना 6 लाख 50 हजार 907 मीट्रिक टन शामिल है। इसी तरह जिले के 15 सहकारी बैंक शाखाओं के माध्यम किसानों के खाते में राशि का भुगतान डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से किया गया है।
किसानों की मेहनत पर फिरा पानी
छत्तीसगढ़ में 1 नवंबर 2023 से 4 फरवरी 2024 तक चली धान खरीदी में इस साल बंपर धान खरीदी हुई है। इसके चलते प्रदेश में सरकार बनाने के लिए किसानों के धान को 21 क्विंटल प्रति एकड़ 31 सौ रुपए में खरीदे जाने की घोषणा की गई थी।
इधर, नई सरकार बनने के बाद घोषणा को अमल में लाए जाने से तमाम समितियों ने तय लक्ष्य से कई गुना ज्यादा धान खरीद लिए हैं, जहां से उठाव नहीं होने के चलते अब हालात ऐसे हैं कि धान समितियों में जाम हो गया है।
कुल मिलाकर किसान के खून पसीने की मेहनत से उगाए गए अब भी खुले आसमान के नीचे पड़ा हुआ है, जिनको ढकने के लिए लगाई गई पन्नी और तिरपाल तेज हवा में उड़-उड़ कर फट रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ धान अब तक मिलिंग के लिए नहीं गया।