बलौदा बाजार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदा बाजार, 22 मार्च। रिवाड़ीह महानदी रेत घाट के विरोध में ग्रामीण भी कूद पड़े हैं। उनका कहना है कि अगर रेत घाट निरस्त नहीं किया गया तो आने वाले समय में गांव में जल समस्या के साथ ही पर्यावरण को भी नुकसान होगा।
बलौदाबाजार के पलारी ब्लॉक अंतर्गत ग्राम रिवाड़ीह महानदी रेत घाट को अब ग्रामीण भी निरस्त करने की मांग कर रहे हैं। कुछ दिनों पहले इसे युवा वर्ग ने निरस्त करने की मांग की थी। बताया जा रहा है कि जिले के अंतिम छोर पर बसे इस गांव में एक मात्र यही रास्ता है, ये रास्ता भी जर्जर हो चुका है, जिसमें जैसे-तैसे ग्रामीण गुजारा कर रहे हैं।
पेयजल की होगी समस्या-बताया जा रहा है कि इस नदी से ग्रामीण और जानवरों का भी गुजारा चलता है। अगर रेत घाट बनाया गया तो लोगों के साथ ही जानवरों को भी दिक्कत होगी, साथ ही पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचेगा। यहां रेत घाट बनने से गांव वाले प्यासे मर जाएंगे, साथ ही गांव वालों को हमेशा अपनी सुरक्षा की चिंता सताती रहेगी, ये नदी ही गांव वालों के जीवन का आधार है।
गांव की सरपंच नोमिन साहू का कहना है कि रेत घाट के प्रारंभ होने से गांव को काफी नुकसान होगा। पर्यावरण प्रदूषित होगा। पानी का वाटर लेवर खत्म हो जाएगा। जानवरों को भी दिक्कतें होगी, साथ ही सडक़ हादसे का खतरा बढ़ जाएगा, इसलिए सब रेत घाट निरस्त की मांग पर अड़े हैं।
रेत माफियाओं से साठ-गांठ
वहीं, रिवाड़ीह गांव आने-जाने के लिए भवानीपुर से 5 किलोमीटर सिंगल सीसी रोड बना था, जो ओवर लोड रेत गाडिय़ों के आवाजाही के कारण जर्जर हो गया है। ये ऐसा सडक़ है, जो शुरुआत से लेकर अंत तक इतने टुकड़े में टूटा है कि न तो उनकी गिनती की जा सकती है, ना ही मरमत। हालांकि ग्रामीण इसी टूटे रास्ते में गुजारा कर रहे हैं। इधर, क्षेत्र के कुछ लोग गांव वालों की मदद करने के बजाय रेत माफियाओं से सांठ-गांठ बनाए हुए हैं। ये लोग ग्रामीणों की बैठक में भी शामिल नहीं हो रहे हैं, साथ ही खुलकर ग्रामीणों के साथ रेत घाट निरस्त को लेकर विरोध कर रहे हैं।
ज्ञात हो कि गांव के 90 फीसद लोग रेत घाट को बंद कराने के पक्ष में हैं, जबकि 10 फीसद लोगों की रेत माफियाओं से सांठ-गांठ है, जो मौन हैं।