मनेन्द्रगढ़-चिरिमिरी-भरतपुर

हमारे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्यों के धरोहर हैं वृक्ष-नारायण
06-Jun-2024 7:42 PM
हमारे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्यों के धरोहर हैं वृक्ष-नारायण

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

मनेन्द्रगढ़, 6 जून। वट अमावस्या एवं वट सावित्री के व्रत व पर्व पर वट वृक्षों को देवतुल्य मानकर उसकी पूजा की जाती है, हमें वृक्षों के महत्व एवं उपयोगिता को समझना है और इन्हें बचाना है। वृक्षों से ही हमारा पर्यावरण शुद्ध होता है और जीवन संभव हो पाता है।

उक्त बातें पतंजलि योग समिति द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित विचार संगोष्ठी के दौरान प्रमुख वक्ता नारायण प्रसाद तिवारी ने कही। उन्होंने कहा कि बरगद, पीपल और तुलसी हमारे आध्यात्मिक सांस्कृतिक मूल्यों और परंपराओं का हिस्सा रहे हैं। इन देव वृक्षों के महत्व और वैज्ञानिक अवधारणाओं की चर्चा करते हुए तिवारी ने कहा कि गांव में लोग बरगद या पीपल का पेड़ नहीं काटते। यह हमारे चारों ओर के विराट प्राकृतिक परिवेश को शुद्ध करता है। उन्होंने बरगद, पीपल एवं तुलसी वृक्ष की महत्ता सनातन हिंदू दर्शन के कई उदाहरणों के साथ प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम संयोजक एवं पतंजलि योग समिति के वरिष्ठ जिला प्रभारी सतीश उपाध्याय ने यूकेलिप्टस एवं गुलमोहर के पेड़ों की  गह घने फलदार पौधों के संरक्षण की अपील की। परिचर्चा में योग समिति के नियमित योग साधक जसवीर सिंह रैना, सुखविंदर सिंह, कैलाश दुबे, डॉ. संदीप चंदेल, बलवीर कौर, राकेश अग्रवाल, धर्मराज, विवेक कुमार तिवारी एवं पिंकी सलूजा आदि उपस्थित थे। विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित विचार संगोष्ठी में चर्चा करते हुए प्रतिभागियों ने पर्यावरण संरक्षण के लिए अधिक से अधिक पौधे लगाने की अपील की। कार्यक्रम के प्रथम चरण में  विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर डॉ. संदीप चंदेल, आरडी दीवान तथा रामसेवक विश्वकर्मा द्वारा फलदार पौधे विकसित करने के लिए सरस्वती शिशु मंदिर के गार्डन में श्रमदान भी किया गया। पर्यावरण प्रेमी आरडी दीवान ने कहा कि विश्व योग दिवस के अवसर पर पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए विभिन्न प्रजातियों के फलदार पौधों का रोपण किया जाएगा। कार्यक्रम का संचालन पतंजलि योग समिति के वरिष्ठ योग प्रशिक्षक ने किया।

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